विशेष डेस्क
वैश्विक तापमान लगातार बढ़ रहा है। पिछले दिनों एक रिपोर्ट में कहा गया कि फरवरी 2022 का महीना इतिहास का सातवां सबसे गर्म फरवरी का महीना था। नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फार एनवायर्नमेंटल इंफार्मेशन (एनसीईआइ) की जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। इसका तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान से 0.81 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया था। 2022 के शुरुआती दो महीनों को देखें तो उनका औसत तापमान उन्हें अब तक का छठा सबसे गर्म बनाता है। इतना ही नहीं एनसीईआइ की जारी रिपोर्ट के मुताबिक इस बात की 99 फीसद संभावना है कि 2022 इतिहास के 10 सबसे गर्म वर्षों में शुमार हो सकता है।
वहीं यदि जनवरी 2022 के औसत तापमान को देखें तो वह 20वीं सदी के औसत तापमान से 0.89 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था, जिसका मतलब है कि यह महीना इतिहास का छठा सबसे गर्म जनवरी का महीना था। इसी तरह यदि इतिहास के 10 सबसे गर्म फरवरी के महीनों को देखें तो उनमें से आठ तो पिछले दशक में ही सामने आए हैं। इससे पहले फरवरी 2020 में तापमान 1.16 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था, जबकि फरवरी 2017 में 1.02, फरवरी 2015 में 0.87, फरवरी 1998 में 0.87 और फरवरी 2019 में 0.85 डिग्री सामान्य से ज्यादा रिकार्ड किया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार उत्तरी अमेरिका को छोड़ दें तो अन्य महाद्वीपों में तापमान औसत से ज्यादा था। जहां यूरोप में इस बार फरवरी का महीना सातवां सबसे गर्म फरवरी था, जबकि कई यूरोपीय देशों ने अपने 10 सबसे गर्म फरवरी के महीनों में से एक को इस वर्ष अनुभव किया था।
इसी तरह उत्तर और पश्चिम एशिया में भी फरवरी का तापमान सामान्य से कहीं ज्यादा गर्म था, जबकि मध्य और दक्षिण क्षेत्रों में तापमान सामान्य से कम था। कहा जा सकता है कि इस बार एशिया में फरवरी का तापमान इतना ज्यादा था जो उसे इतिहास का आठवां सबसे गर्म फरवरी का महीना बनाता है।
वहीं अफ्रीका को देखें तो वहां फरवरी में तापमान कहीं हद तक सामान्य के आसपास ही था, जबकि दक्षिण अमेरिका के ज्यादातर हिस्सों में फरवरी का तापमान औसत से कहीं ज्यादा था। वहां इस बार फरवरी का महीना फरवरी 2006 के साथ सम्मिलित रूप से इतिहास का आठवां सबसे गर्म फरवरी था। हालांकि उत्तरी अमेरिका अकेला ऐसा महाद्वीप था, जहां इस वर्ष फरवरी का तापमान औसत से कम था। यदि देशों के आधार पर इस महीने तापमान में दर्ज की गई प्रमुख विसंगतियों की बात करें तो स्पेन में इस साल फरवरी का महीना 1961 के बाद तीसरा सबसे सूखा महीना था।
वहीं, इसके विपरीत प्यूर्टो रिको में भारी बारिश दर्ज की गई थी जिससे वहां बाढ़ की स्थिति बन गई थी। इसी तरह ब्राजील के पेट्रोपोलिस में भारी बारिश के कारण बाढ़ आ गई थी। आस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में भी भारी बारिश के कारण महीने के आखिर में बाढ़ की स्थिति बन गई थी।