सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर किए जाने वाले खर्च को लेकर वरिष्ठ वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार के पास संकट काल से जूझते भारत में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के पास शिक्षकों और नौकरियों के लिए पैसा नहीं है, मगर नए सेंट्रल विस्टा की संशोधित रकम 13,450 करोड़ रुपए है, जिसमें नई संसद की इमारत के लिए खर्ची जाने वाली एक हजार करोड़ रुपए की रकम शामिल नहीं है। इसी बीच, Congress के सीनियर नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर केंद्र को घेरा।

शनिवार को भूषण ने एक अखबार की क्लिपिंग टि्वटर पर शेयर की, जिसमें सेंट्रल विस्टा का जिक्र था। भूषण ने लिखा था- 13,450 करोड़ रुपए नए सेंट्रल विस्टा के लिए संशोधित रकम है। इसमें नई संसद के एक हजार करोड़ रुपए की रकम शामिल नहीं है! ऐसा तब हो रहा है, जब कोरोना संकट सिर पर है। ऊपर से 20% बेरोजगारी है, जबकि सरकार कह रही है कि उसके पास टीचरों और सरकारी नौकरियों के लिए पैसे नहीं हैं! मोहम्मद बिन तुगलक और नीरो याद आए?

दिग्विजय ने इसी को लेकर कहा- हमारा देश जब वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, तब इस तरह से बड़ी रकम को बर्बाद करना आपराधिक कृत्य होगा। और वह भी किसलिए? यह रहा कांग्रेसी नेता का ट्वीटः 

अगले ट्वीट में उन्होंने कहा- Standing Committee of Urban Welfare Ministry के सदस्य के नाते मैंने चेयरमैन से गुजारिश की है कि वह Urban Welfare Ministry को समिति के समक्ष एक प्रेजेंटेशन देने के लिए कहें।

बकौल दिग्विजय, “इस बात पर संसद में क्यों चर्चा नहीं हुई? कौन आर्किटेक्ट है? कैसे उसे चुना गया? क्या क्रेडेंशियल्स हैं? जनता के बीच यह आइडिया क्यों नहीं लाया गया? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट में प्रख्यात टाउन प्लैनर्स की समिति क्यों नहीं बनाई?”

उधर, शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में साप्ताहिक लेख ‘रोक-टोक’ में पार्टी सांसद संजय राउत ने सेंट्रल विस्टा परियोजना पर ”एक हजार करोड़ रुपये” खर्च करने की जरूरत पर भी सवाल उठाए। आलोचना करते हुए कहा कि मौजूद संसद भवन ठीक है और इसमें अलगे 50 से 75 साल तक अच्छी तरह से काम चल सकता है।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 दिसंबर को नए संसद भवन की आधारशिला रखते हुए इसे ”भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में मील का पत्थर” करार दिया था। इस त्रिकोणीय आकार वाले संसद भवन में 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। अगस्त, 2022 में देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस तक इसका निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।