UP Politics: 27 फरवरी को राज्यसभा की 56 सीटों पर चुनाव होना है। इनमें से 10 सीटें यूपी की हैं। यहां पर राजनीति अब दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गई है। बीजेपी ने अपने 8 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है और समाजवादी पार्टी ने भी 3 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। यूपी की सबसे बड़ी पार्टियों के पास राज्य विधानसभा में पर्याप्त सदस्य मौजूद हैं। बीजेपी द्वारा 8वें उम्मीदवार को चुनाव में उतारने के बाद 10वीं राज्यसभा सीट के लिए लड़ाई काफी अहम हो गई है।
बीते दिन बीजेपी ने संजय सेठ को अपने आठवें उम्मीदवार के रूप में पेश किया और उन्होंने राज्यसभा के उम्मीदवार के लिए नामांकन दाखिल किया। इससे पहले सेठ को साल 2016 में समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा भेजा था। बाद में उन्होंने सपा का साथ छोड़ दिया और बीजेपी का दामन थाम लिया। बीजेपी ने जिन कैंडिडेट्स पर दांव लगाया है उनमें, पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह, पूर्व सांसद चौधरी तेजवीर सिंह, राज्य पार्टी महासचिव अमरपाल मौर्य, पूर्व राज्य मंत्री संगीता बलवंत, पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी, पूर्व विधायक साधना सिंह और आगरा के पूर्व मेयर नवीन जैन शामिल हैं।
सीटें 10 और प्रत्याशी 11
वहीं, समाजवादी पार्टी की लिस्ट में वरिष्ठ नेता और अभिनेत्री जया बच्चन, दलित नेता रामजी लाल सुमन और राज्य के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन शामिल हैं। अब यहां का मुकाबला इसलिए भी रोमांचक हो गया है क्योंकि बीजेपी ने आठवें उम्मीदवार को राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। राज्य को चुनाव की जरूरत नहीं पड़ती क्योंकि सभी उम्मीदवार बिना किसी विरोध के आसानी से चुन लिए जाते। हालांकि, 11 उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं तो 10 सीटों पर विजेताओं को चुनने के लिए वोटिंग होगी।
रोमांचक होगा राज्यसभा सीटों का मुकाबला
इस समय उत्तर प्रदेश में 399 विधायक हैं और विधानसभा की चार सीटें खाली पड़ी है। राज्यसभा के चुनाव में एक उम्मीदवार को जीतने के लिए कम से कम 37 वोट हासिल करने होंगे। बीजेपी के पास 252 विधायक और एनडीए की पार्टियों के पास 36 एमएलए हैं। एनडीए के विधायकों में अपना दल के 13, राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के 9, निषाद पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के छह-छह विधायक और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के 2 विधायक शामिल हैं। इन सभी के बीजेपी को वोट देने की उम्मीद है।
क्रॉस वोटिंग की संभावना
भारतीय जनता पार्टी इन सभी दलों से 36 वोट पाने में कामयाब हो जाती है तो वोटों की संख्या का आंकड़ा 288 को छू लेगा। वहीं, भाजपा अगर चाहती है कि उसके आठों उम्मीदवार राज्यसभा पहुंचे तो उसे 296 वोटों की जरूरत होगी। अभी जिस तरह के संकेत मिल रहें है, बीजेपी आठ वोटों से पीछे है।
साथ ही, कांग्रेस पार्टी के दो विधायक समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को वोट देते है तो उनके वोटों की संख्या 110 पहुंच जाएगी। हालांकि, यहां भी समीकरण बदलता हुआ ही नजर आ रहा है। एसपी के तीनों उम्मीदवारों को जीतने के लिए करीब 111 वोटों की जरूरत होगी। यानी कि इसमें एक वोट की कमी समाजवादी पार्टी को खलने वाली है।
एसपी की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ रही हैं क्योंकि अपना दल (कामेरवादी) की नेता पल्लवी पटेल उनसे नाराज चल रही हैं। इसके लिए उन्होंने पीडीए गठबंधन में लापरवाही का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि वह समाजवादी पार्टी को वोट नहीं देंगी। इन चुनावों में क्रास वोटिंग होने की संभावना है और सपा को काफी नुकसान भी झेलना पड़ सकता है।