याकूब मेमन को गुरुवार की सुबह फांसी दिए जाने के बाद उसका शव सरकार के लिए मुसीबत का कारण बन सकता है। सूत्रों का कहना है कि याकूब के भाई सुलेमान ने याकूब का शव देने की मांग सरकार से की है। हालांकि फांसी के बाद मृत देह परिवार को दी जाए या नहीं, इस बात का फैसला जेलर करता है। जेलर खास शर्तों के साथ फांसी पर चढ़ाए गए कैदी का शव परिवार को सौंप सकता है। याकूब को फांसी देने के समय मेमन परिवार के तीन लोगों को उपस्थित रहने की छूट दी गई है।
माना जा रहा है कि सरकार फांसी के बाद याकूब का शव उसके परिवार के हवाले कर सकती है। याकूब मुंबई के उपनगर माहिम में रहता था, इसलिए उसे माहिम या चर्नी रोड स्थित बड़ा कब्रिस्तान में दफनाया जा सकता है। बड़ा कब्रिस्तान में ही याकूब के पिता अब्दुल रज्जाक को दफनाया गया था।
प्रशासन के लिए याकूब का शव मुसीबत का कारण नहीं बन जाए, इसकी सावधानी बरती जा रही है। कानून और व्यवस्था की स्थिति न बिगड़े इसका ध्यान रखते हुए जनाजा निकालने की अनुमति पर सरकार विचार कर रही है। अगर अनुमति मिलती है तो जनाने में भीड़, नारेबाजी, पोस्टर आदि पर पुलिस का सारा ध्यान रहेगा। माहिम इलाके में मेमन परिवार की बम विस्फोट से पहले काफी प्रतिष्ठा थी। इसलिए याकूब के जनाजे में भीड़ की संभावना पर भी पुलिस का ध्यान है।
याकूब को फांसी दिए जाने के बाद जेहादी तत्व सक्रिय हो सकते हैं क्योंकि टाइगर मेमन जेहादियों में लोकप्रिय है। मुंबई पुलिस याकूब की फांसी के बाद बनने वाली स्थितियों की सभी संभावनाओं की पड़ताल कर चुकी है। किसी भी तरह की आतंकवादी कार्रवाई के लिए मुंबई पुलिस चाक-चौबंद है। सूबे में रेड अलर्ट घोषित किया जा चुका है। मुसलिम बहुल इलाकों पर पुलिस की कड़ी नजर है। मुंबई पुलिस आयुक्त राकेश मारिया का कहना है कि मुंबई हमेशा दहशतगर्दों के निशाने पर रहा है, लिहाजा यहां की सुरक्षा व्यवस्था पर खास ध्यान दिया गया है।
मॉल्स, रेल्वे स्टेशन, भीड़ भरी जगहों पर पुलिस की कड़ी व्यवस्था की गई है। मुंबई, पुणे, औरंगाबाद, नागपुर में विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है। गुप्तचर विभाग ने इन चारों जगहों में से किसी एक में आतंकवादी कार्रवाई का अंदेशा जताया है।