Tips to avoid Miscarriage: प्रेग्नेंसी मात्र एक कपल के लिए ही नहीं बल्कि पूरे परिवार के लिए ढेर सारी खुशियां लेकर आता है। लेकिन ऐसे में अगर मिसकैरेज यानी गर्भपात हो जाए तो यह सबसे दुखद होता है। यूनाइटेड किंगडम के एक अध्ययन के मुताबिक, हर 6 में से एक महिला जो अपने प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में मिसकैरेज का शिकार होती है, उनमें लंबे समय तक स्ट्रेस बना रहता है। लेकिन मिसकैरेज होना बिल्कुल भी असामान्य नहीं है। गर्भावस्था के 20 वें सप्ताह से पहले लगभग 10% महिलाओं में मिसकैरेज की समस्या होती है। मिसकैरेज होने के कई कारण है जैसे हार्मोनल असंतुलन, कमज़ोर इम्युनिटी, ब्लड क्लॉटिंग की समस्या, थायरॉयड अथवा मधुमेह, स्मोकिंग, गर्भाशय में कोई समस्या आदि।

अधिकतर मामलों में मिसकैरेज को रोका नहीं जा सकता लेकिन हम कुछ उपायों को अपनाकर स्वस्थ प्रेग्नेंसी की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं जिससे गर्भपात होने का खतरा कम हो जाता है।

स्वस्थ जीवन शैली – अस्वस्थ जीवन शैली मिसकैरेज के ख़तरे को बहुत बढ़ा देता है। धूम्रपान करना अथवा पैसिव स्मोकिंग करना, शराब का सेवन करना, ड्रग्स लेना जैसी आदतों के कारण गर्भ न ठहरने की संभावना बढ़ जाती है। नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद, संतुलित और नियमित डाइट से एक स्वस्थ प्रेग्नेंसी के अवसर बढ़ जाते हैं। कैफ़ीन का सेवन भी कम करना गर्भावस्था के दौरान सही रहता है।

फॉलिक एसिड और विटामिन बी 3 का सेवन – अध्ययनों में यह बात कही गई है कि प्रतिदिन 400 मिलीग्राम फॉलिक एसिड का सेवन करने से मिसकैरेज के ख़तरे कम हो जाते हैं। सिडनी के विक्टर चांग इंस्टीट्यूट के एक शोध के मुताबिक़, विटामिन बी 3 का सेवन गर्भपात और जन्मजात बीमारियों के खतरों को कम कर देता है।

वजन को ज़्यादा न बढ़ने दें – प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ वेट गेन होना ठीक माना जाता है। लेकिन अधिक वजन बढ़ जाने से मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है। अगर प्रेग्नेंट महिलाएं ज़्यादा वेट गेन करती हैं या फिर अगर वो अंडरवेट हैं, दोनों ही स्थितियों में मिसकैरेज हो सकता है। उन्हें अपने वजन का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

पुरानी बीमारियों के लिए डॉक्टर्स के संपर्क में रहें – अगर प्रेगनेंट महिला को किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या है जैसे उच्च रक्तचाप, मधुमेह, थायरॉयड आदि तो उसे नियमित अपने डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए। किसी भी पुरानी बीमारी की स्थिति को नियंत्रित रखने से गर्भपात की संभावना कम हो जाती है।

इंफेक्शंस से बचे रहें – फ्लू और न्यूमोनिया से बचे रहने के लिए हाथों को नियमित धोते रहें और साफ – सफ़ाई का ध्यान रखें। प्रेग्नेंसी के दौरान लगने वाले सभी टीके समय पर लगवाएं और विशेषज्ञ अथवा डॉक्टर्स के संपर्क में रहें।