World No Tobacco Day 2022 विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2022: हम में से बहुत से लोग जानते हैं कि धूम्रपान से सांस की बीमारी, हृदय की बीमारी और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। इसके अलावा यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि धूम्रपान आंखों के लिए भी बहुत हानिकारक हो सकता है। दुनिया भर में मृत्यु दर बढ़ने के अनेकों कारणों में धूम्रपान सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है। तंबाकू के कारण दुनिया भर में 8 मिलियन से ज्यादा मौतें हर साल होती हैं और यह अनुमान लगाया गया है कि इनमे से लगभग 600,000 लोग धूम्रपान नहीं करते हैं लेकिन सेकेंड हैंड धुएं के कारण वे मौत का शिकार होते हैं।

एमराल्ड आई हॉस्पिटल एंड रेटिना सेंटर पुणे के चीफ कंसलटेंट और डायरेक्टर डॉ आशुतोष पाटिल ने जनसत्ता डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि सिगरेट का धुआं शरीर में विषाक्त पदार्थों को रिलीज करता है। ये विषाक्त पदार्थ आंखों समेत शरीर के विभिन्न अंगों को रक्तप्रवाह के माध्यम से शरीर में जाकर प्रभावित करते हैं।

डॉक्टर पाटील के मुताबिक धूम्रपान से मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, उम्र से संबंधित मैय्कुलर डीजेंरेशन (एएमडी) और डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसी गंभीर आंखों की बीमारी होने का खतरा होता है। अगर समय पर उचित सावधानी न बरती गयी तो इससे देखने की क्षमता भी ख़राब हो सकती है। इसके अतिरिक्त सिगरेट के धुएं से आंखों के नीचे सूजन और पलकों में समस्याएं जैसे सूजन और जलन हो सकती है।

धूम्रपान से होने वाली आंखों की समस्याएं

जो लोग धूम्रपान करते हैं उनके लिए यह जानना ज़रूरी है कि सिगरेट का धुआं आंखों के महत्वपूर्ण हिस्सों जैसे लेंस, रेटिना और मैक्युला को नुकसान पहुंचा सकता है। आंखों के ये सभी अंग अच्छी नज़र बनाये रखने में मदद करते हैं। आइए धूम्रपान से होने वाले कुछ प्रमुख आंखों की बीमारियों के बारे में डॉ आशुतोष से जानते हैं-

मोतियाबिंद

डॉक्टर पाटील ने बताया कि मोतियाबिंद होने से नज़र खोने की संभावना काफी बढ़ जाती है। यह बीमारी तब होती है जब आंखों का प्राकृतिक रूप से पारदर्शी लेंस धुंधला हो जाता है या क्लाउडी बन जाता है। इस वजह से प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है और धुंधला दिखने लगता है। धूम्रपान आंखों के भीतर फ्री रेडिकल्स की संख्या को बढ़ा सकता है। फ्री रेडिकल्स आंखों में प्रोटीन और लिपिड को नुकसान पहुंचा सकते हैं और जिससे ये आंखों के लेंस पर जमा हो सकते है। ऐसा होने से मोतियाबिंद का विकास होता है।

उम्र से संबंधित मैक्यूलर डीजेनरेशन

डॉक्टर पाटील के मुताबिक इस बीमारी से सेंट्रल विजन (केंद्रीय दृष्टि) कमजोर हो जाती है। इस बीमारी के होने से रंगों और चेहरों को पहचानना, पढ़ना और यहां तक कि चलना भी असंभव या मुश्किल हो जाता है। जब इसका इलाज नहीं किया जाता है तो इससे अंधापन और पूर्ण रूप से दिखाई देना बंद हो सकता है। कई रिसर्च में यह बात सामने आई कि धूम्रपान करने वालों में ल्यूटिन और ज़ेक्सैन्थिन का लेवल बहुत कम हो जाता है, ये दोनों मैक्युला को यूवी रेडियेशन से बचाते हैं। यूवी रेडियेशन उम्र से संबंधित मैक्यूलर डीजेनरेशन के लिए बहुत बड़ा खतरा होता है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी

डॉ आशुतोष पाटिल के अनुसार धूम्रपान करने से डायबिटीज होने की सम्भावना 40% तक बढ़ सकती है। इस वजह से डायबिटिक रेटिनोपैथी होने की सम्भावना भी बढ़ जाती है। डायबिटिक रेटिनोपैथी में ब्लड वेसेल्स नुकसानग्रस्त हो जाती है। इस कारण ब्लड वेसेल्स से आँखों में तरल पदार्थ और खून रिसने लगता है। जिस वजह से हलका या पूरी तरह से दिखना बंद हो जाता है।

आंखों का ड्राई होना: इस बीमारी के होने से आंखों से पर्याप्त आंसू नहीं निकलते हैं। सिगरेट का धुआं जलन और आंखों में सूखापन पैदा कर सकता है। इसके साथ ही कुछ लोगों को विशेष रूप से धूम्रपान से आंखों की बीमारी होने का खतरा बाकियों के मुकाबले अधिक होता है, जैसे की:

गर्भवती महिलाएं: गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने से अजन्मे बच्चों में रेटिनोपैथी होने का खतरा बढ़ सकता है। यह बीमारी तब होती है जब बच्चे के रेटिना में ब्लड वेसेल्स (रक्त वाहिकाएं) पूरी तरह से विकसित नहीं होती हैं जिससे रेटिना डिटेचमेंट हो सकता है और कुछ केसेस में अंधापन भी हो सकता है।

डायबिटीज वाले लोगों में: डायबिटीज से पीड़ित जो लोग धूम्रपान करते हैं उनमे डायबिटिक रेटिनोपैथी होने का खतरा बढ़ जाता है।

बच्चे: एक रिसर्च से पता चला है कि धूम्रपान के कारण होने वाली आंखों की बीमारी बच्चों को बहुत कम उम्र में हो सकती है। सिगरेट के धुएं से कोरॉइड पतला हो सकता है, जिस वजह से बच्चों की आंखों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ सकता है।

आंखों को कैसे सुरक्षित रखें

धूम्रपान छोड़ देना आंखों को स्वस्थ रखने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है। हालांकि धूम्रपान छोड़ने के अलावा कुछ और भी महत्वपूर्ण चीजें हैं जो आँखों को सुरक्षित रखने के लिए की जा सकती है।

  • आंखों को सूरज की हानिकारक यूवी किरणों से बचाने के लिए बाहर निकलते समय चश्मा या धूप का चश्मा पहनें
  • आंखों को सूखने या खुजली होने से बचाने के लिए बार-बार झपकाएं
  • आंखों को हमेशा साफ़ रखें
  • ब्लड ग्लूकोज़, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को हमेशा नियंत्रण में रखें।
  • आंखों को आराम दें, खासकर जब आंखों पर दबाव डालने वाली गतिविधियां जैसे स्क्रीन का उपयोग करना, पढ़ना आदि हो तो बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें।
  • नेत्र रोग विशेषज्ञ से नियमित रूप से जांच कराएं।

डॉक्टर पाटील का कहना है कि धूम्रपान छोड़ने के लिए कभी भी देर नहीं होता या इसका कोई वक़्त नहीं होता इसलिए यह हमेशा याद रखना महत्वपूर्ण है कि धूम्रपान छोड़ने से न केवल सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद मिल सकती है बल्कि यह आंखों के स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है।