कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन जारी है। गाजीपुर, टिकरी और सिंधु बॉर्डर पर देश के अलग-अलग हिस्सों के किसान डटे हैं और कानून वापसी की मांग कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की भावुक अपील के बाद गाजीपुर बॉर्डर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों के किसान पहुंचे हैं। राकेश टिकैत की इस अपील और आंदोलन के बहाने उनके पिता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का ज़िक्र भी किया जा रहा है।

अपनी साफगोई के लिए चर्चित महेंद्र सिंह टिकैत को किसानों का मसीहा भी कहा जाता था। उनकी ऐसी धमक थी कि केंद्र से लेकर राज्य सरकारें हिल जाती थीं। उनके आंदोलनों में हजारों की तादाद में किसान इकट्ठा होते थे। ऐसा ही एक आंदोलन करीब तीन दशक पहले हुआ था। 32 साल पहले तब महेंद्र सिंह टिकैत ने दिल्ली को ठप कर दिया था।

टिकैत ऐसे किसान नेता जो सरकार तक नहीं, सरकार उनके दरवाजों तक आती थी। वो किसानों और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर सरकार से सीधे तीखे सवाल पूछते थे। यही वजह थी कि उनके तेवर से दिल्ली दरबार कांपता था। सवाल भी ऐसे होते थे कि सामने वाले को काटो तो खून न निकले।

ऐसा ही एक सवाल उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव से पूछ लिया था। दरअसल राव सरकार के दौरान चर्चित ‘हर्षद मेहता कांड’ हुआ था। जिसने भारत के राजनीतिक गलियारे में तूफान ला दिया। हर्षद मेहता ने 1993 में पूर्व प्रधानमंत्री और उस वक्त कांग्रेस के अध्यक्ष पीवी नरसिम्हा राव पर केस से बचाने के लिए 1 करोड़ घूस लेने का आरोप लगाया था। उसने दावा किया था कि पीएम को उसने एक शूटकेस में घूस की रकम दी थी।

महेंद्र सिंह टिकैत उस वक्त प्रधानमंत्री से लखनऊ में किसानों पर हुई ज्यादती का मसला रखने गए थे। अपनी बात रखी। लेकिन स्वभाव के मुताबिक जो बात उनके मन में आ रही थी उसे बेबाकी से पूछ लिया। उन्होंने राव से सवाल किया, ‘क्या आपने एक करोड़ रुपया लिया था?’ राव साहब सन्न। कोई प्रधानमंत्री से ऐसा सवाल सीधे कैसे पूछ सकता है।

सीधे प्रधानमंत्री से इस तरह के सवाल करने की हिम्मत महेंद्र सिंह टिकैत ही दिखा सकते थे। नरसिम्हा राव ने जवाब में कहा कि ‘क्या आप भी ऐसा ही सोचते हैं?’