डायबिटीज दो तरह की होती है टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज। टाइप-1 डायबिटीज ऑटो इम्युन डिजीज है जबकि टाइप-2 डायबिटीज खराब खान-पान और बिगड़ते लाइफस्टाइल की वजह से पनपने वाली बीमारी है। टाइप-1 डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जिसमें हमारी इम्युनिटी पैंक्रियाज के इंसुलिन सेल्स को मार देती है। ये डायबिटीज टाइप-2 डायबिटीज से पूरी तरह अलग है। टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों में डायबिटीज के लक्षणों की बात करें तो भूख- प्यास में बढ़ोतरी होना, लगातार यूरिनेशन, आंखों से धुंधला दिखाई देना, हर वक्त थकान रहना और वजन का तेजी से कम होना शामिल है।
आप जानते हैं कि जिन लोगों को टाइप-1 डायबिटीज है उन्हें भविष्य में ऑटोइम्यून थायरॉइड डिजीज का खतरा अधिक रहता है। थॉयराइड और टाइप-1 डायबिटीज ऑटोइम्यून डिजीज है। अगर डायबिटीज को कंट्रोल नहीं किया जाए तो भविष्य में और भी कई बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। आइए जानते हैं कि थॉयराइड और टाइप-1 डायबिटीज का कैसे कनेक्शन है और कैसे शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है।
टाइप-1 डायबिटीज और थॉयराइड का कैसे कनेक्शन है:
एक्सपर्ट के मुताबिक टाइप-1 डायबिटीज और थॉयराइड को सिस्तर डिजीज कहा जाता है। दोनों ही ऑटोइम्युन डिजीज हैं जिसमें इम्युनिटी एंडोक्राइन पार्ट्स पर हमला करती है। जिन लोगों को एक ऑटोइम्युन डिजीज होता है उन्हें दूसरे ऑटोइम्युन डिजीज का खतरा अधिक रहता है। एक्सपर्ट के मुताबिक टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों को थॉयराइड का खतरा अधिक रहता है।
डायबिटीज के मरीज इस तरह करें शुगर को कंट्रोल:
- टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes)के मरीज डाइट का ध्यान रखें। खाने में फाइबर का अधिक सेवन करें और कार्ब्स का सेवन कम करें।
शुगर कंट्रोल करने के लिए आप अपने डायटीशियन से सलाह ले सकते हैं।
- डायबिटीज के मरीज डाइट में बीन्स, टमाटर,नट्स,मछलियां, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, खट्टे फल और बेरीज का सेवन करें।
रेगुलर ब्लड प्रेशर, शुगर, कोलेस्ट्रॉल और थॉयराइड का चेक कराएं। - बॉडी को एक्टिव रखें। बॉडी को एक्टिव रखने से मतलब है कि रेगुलर एक्सरसाइज और वॉक करें।
नशीले पदार्थों का सेवन करने से परहेज करें।
- कुछ फूड्स बॉडी में इंसुलिन की तरह काम करते हैं उनका सेवन करें। नट्स में काजू, बादाम और अंजीर का सेवन करें।
- तनाव से दूर रहे। तनाव को दूर करने के लिए योगा और मेडिटेशन कर सकते हैं।