एक वक्त ऐसा था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के बीच बेहद अच्छे ताल्लुकात थे। सरदेसाई ने खुद इस बात का खुलासा करते हुए कहा था कि उस दौर में दोनों महीने में एक या दो बार आंध्र भवन में साथ खाना जरूर खाया करते थे। हालांकि बाद में दोनों के रिश्ते में तल्खी आ गई। एक इंटरव्यू में राजदीप सरदेसाई से जब इसको लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने विस्तार से जवाब दिया था।
राजदीप सरदेसाई से इसको लेकर सवाल पूछा गया था, ‘मैं आपसे जानना चाहता हूं कि नरेंद्र मोदी से आपके रिश्ते बहुत गहरे रहे हैं। गुजरात में आपका ननिहाल है। आपने बताया था कि नरेंद्र मोदी न तो आपका जन्मदिन भूलते थे और जब आपके पिता का निधन हुआ तो उन्होंने फोन भी किया था। लेकिन एक तस्वीर सामने आई थी कि वो रथ पर बैठे हुए थे और आप नीचे बैठे थे। आज ये समय आ गया कि आपकी उनसे कोई बात भी नहीं होती।’
राजदीप सरदेसाई जवाब देते हैं, ‘मैं नरेंद्र मोदी को 1990 से जानता हूं। जब रथ यात्रा हुई थी तो मैंने उसे कवर भी किया था। मैं समझता हूं कि किसी नेता के साथ दोस्ती नहीं करनी चाहिए। अगर मैं किसी नेता को दोस्त समझता था तो मोदी जी उनमें से एक थे। हम लोग आंध्रा भवन में जाकर महीने में एक या दो बार खाना भी खाया करते थे। वो गुजरात से आते थे और नाना पुलिस अफसर थे वहां पर। कुल मिलाकर हमारे रिश्ते बहुत अच्छे थे।’
कैसे बिगड़े रिश्ते? राजदीप सरदेसाई आगे कहते हैं, ‘2002 दंगों की कवरेज के दौरान थोड़ी दूरी हुई। एक बार मोदी जी प्रधानमंत्री बने तो वो इतनी ऊंचाई तक पहुंच गए, जहां मैं एक छोटा सा पत्रकार दिखता हूं। अब कोई इतना बड़ा हो गया तो मेरे जैसे पत्रकार को क्यों देखेगा। ये आजकल के नेताओं में ये ज्यादा हो गया है। कोई नेता मंत्री बन जाता है तो वो अपने आप को किसी दूसरे पायदान पर देखने लगता है। ये हर पत्रकार के लिए मैं कहूंगा कि उसे कॉकरोच होना चाहिए। हम पत्रकार इन दिनों सेलिब्रिटी बन गए हैं।’
‘न्यूज़ 24’ के कार्यक्रम में संदीप चौधरी पूछते हैं, ‘ऐसा कहा जाता है कि पहले आपको सोनिया गांधी के इंटरव्यू मिल जाते थे, लेकिन पीएम मोदी तो आपको इंटरव्यू देने के लिए तैयार नहीं हैं।’ राजदीप ने कहा था, ‘अब पत्रकार सेलिब्रिटी बन गए हैं तो मोदी जी ने भी मुझे अपनी जगह दिखा दी है। मुझे कोई परेशानी नहीं है इससे। 2004 से 2014 के बीच में सोनिया गांधी ने मुझे इंटरव्यू दिए और मोदी जी ने भी दिए। अब सरकारें बदलती हैं, लोगों का मन बदलता है, इसमें कोई परेशानी नहीं है। पहले नेता ऐसे नहीं होते थे। क्योंकि इस देश के नेता महाराजा बन गए हैं।’
एक अन्य इंटरव्यू में राजदीप सरदेसाई ने अटल बिहारी वाजपेयी से पूछा था, ‘क्या नरेंद्र मोदी ने सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उठाकर गलत किया?’ इसके जवाब में अटल जी ने कहा था, ‘ये सच है कि मना करने के बाद भी ये बातें दोहराई जाती हैं वो तो और भी ज्यादा खेदजनक हैं। सोनिया गांधी का विदेश मूल के होने का मुद्दा तो बन गया है। अब उसको विवाद का विषय बनाकर हल किया जाए तो बात अलग है।’