मानस मनोहर

बरसात के मौसम में भोजन के प्रति अतिरिक्त रूप से सावधान रहने की जरूरत होती है। इस मौसम में नमी और हवा में आर्द्रता की वजह से अनेक प्रकार के बैक्टीरिया पैदा हो जाते हैं, जो भोजन के जरिए पेट का संक्रमण फैला सकते हैं। ऐसे मौसम में ताजा और सादा, सेहतमंद भोजन जरूरी होता है। इस बार कुछ ऐसे ही व्यंजन।

थाई कढ़ी

इस व्यंजन के नाम से ही जाहिर है कि यह थाईलैंड में बनाया और खाया जाने वाला व्यंजन है। मगर आजकल भोजन के प्रति बढ़ती रुचि और सूचना तकनीक के माध्यम से उनके बारे में पहुंचती जानकारियों की वजह से भोजन के मामले में भौगोलिक सीमाएं काफी तेजी से टूटी हैं। अब भारत के रेस्तरां में भी चीनी, थाई, इतालवी, अमेरिकी व्यंजनों की शृंखला शामिल हो चुकी है। थाई कढ़ी या करी भी उनमें एक है।

यह चीनी व्यंजन परोसने वाले रेस्तरां में भी उपलब्ध होती है। शादी-व्याह के अवसरों पर भी एक व्यंजन के रूप में परोसी जाने लगी है। इसलिए अब यह भारतीय लोगों के लिए कोई अपरिचित नाम नहीं है। इसने यहां पहुंच कर अपना रूप भी कुछ बदल लिया है।

थाई कढ़ी दरअसल, नारियल के दूध में हरी सब्जियां डाल कर पकाया जाना वाला व्यंजन है। जो मांसाहारी हैं, वे इसमें मांस डाल कर बनाते हैं। असल चीज है नारियल का दूध। भारत में कढ़ी मुख्य रूप से दही या छाछ से बनाई जाती है। उसमें बेसन का इस्तेमाल होता है। मगर थाई कढ़ी में नारियल के दूध का उपयोग होता है। इसमें कोई ज्यादा मसाले वगैरह नहीं पड़ते। तड़के का भी विधान नहीं। इस तरह यह इस मौसम में खाने के लिए उपयुक्त व्यंजन है। पोषण से भरपूर और सेहतमंद।

बहुत सारे विलायती भोजन हमारी जुबान पर चढ़ चुके हैं, उनमें थाई कढ़ी जरूर कम लोकप्रिय है, मगर होती बहुत स्वादिष्ट है। जिन लोगों को तेल-मसाले और तली-भुनी चीजों से परहेज है, उनके लिए तो यह सबसे मुफीद व्यंजन है। इसे बनाना भी कोई मुश्किल काम नहीं। चूंकि विलायती व्यंजन है, इसलिए इसमें उपयोग होने वाली सामग्री भी वहां की जलवायु के मुताबिक होती है, मगर उसकी भी चिंता क्यों करना। बहुत सारे व्यंजनों को हमने अपने स्वाद के अनुसार ढाल लिया है।

थाई कढ़ी को भी हम अपने ढंग से बना सकते हैं। आखिर, नारियल के दूध का इस्तेमाल दक्षिण भारत के व्यंजनों में भी तो होता ही है। इसलिए थाई कढ़ी का मिजाज भारतीय व्यंजनों से मेल खाता है।

थाई कढ़ी बनाने के लिए आधा लीटर नारियल के दूध की जरूरत पड़ेगी। यह आजकल बाजार में आसानी से उपलब्ध होता है। न उपलब्ध हो, तो चिंता की बात नहीं। कच्चे नारियल को ग्राइंडर में पीस लें। उसमें एक लीटर पानी मिलाएं और फिर पतले कपड़े से छान कर दूध निकाल लें। उसका बचा हुआ गूदा फेंकें नहीं, सब्जी में इस्तेमाल कर लें।

नारियल के दूध के अलावा इसमें डालने के लिए कुछ हरी सब्जियों की जरूरत पड़ती है। इसमें मुख्य रूप से बीन्स, गाजर, प्याज, मशरूम, बेबी कार्न, पनीर और ब्रोकली इस्तेमाल की जाती है। ये सारी सब्जियां हर जगह मिल जाती हैं। जो न मिले उसके बदले अपनी पसंद की कोई और सब्जी उपयोग कर लें। इसके अलावा इसमें बेजिल के पत्ते डाले जाते हैं, सुगंध के लिए। अगर वह उपलब्ध नहीं है, तो तुलसी के आठ-दस पत्ते ले लें।

बेजिल भी एक प्रकार की विलायती तुलसी ही है। हालांकि थाई कढ़ी के लिए एक अलग से मसाला भी बाजार में मिलता है, वह मिल जाए, तो अच्छा, नहीं तो उसकी भी चिंता न करें। सब्जियों को धोकर बड़े टुकड़ों में काट लें। कड़ाही में दो से तीन चम्मच तेल या घी हल्का गरम करें और नारियल का दूध डाल कर दो से तीन मिनट तक चलाते हुए पकाएं। अब इसमें अगर थाई करी का मसाला आपके पास है, तो डाल दें, नहीं तो घर में रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाला आधा छोटा चम्मच गरम मसाला डालें और चलाते हुए दो मिनट के लिए और पकाएं।

तेल सतह पर नजर आने लगे तो उसमें सारी सब्जियां डाल दें और चलाते हुए आधा पकने तक पकाएं। सब्जियों में थोड़ा कचकचापन रहना चाहिए। अब इसमें थोड़ा पानी डाल सकते हैं। जरूरत भर का नमक डालें और बेजिल या तुलसी के पत्ते डाल कर मिलाएं और आंच बंद कर दें। कड़ाही को ढंक दें। भारतीय स्वाद वाली थाई कढ़ी तैयार है। सादा चावल के साथ खाएं।

अंकुरित चाट

चाट का मतलब चटपटेपन से है, इसलिए आमतौर पर चाट में तीखे मसालों का इस्तेमाल किया जाता है। मगर चाट बिना तीखेपन का भी हो सकता है। अंकुरित चाट इसका सबसे उत्तम उदाहरण है। इस मौसम में जीभ के चटोरेपन को शांत करने के लिए अंकुरित दालों की चाट सबसे सुरक्षित व्यंजन है।

अंकुरित चाट बनाने के लिए चना, साबुत मूंग और मुट्ठी भर मूंगफली को धोकर रात भर के लिए भिगो दें। उसे कपड़े में बांध कर रख दें। शाम तक अंकुरित हो जाएंगे। अब इसकी चाट बनाएं। दालों में अंकुर निकलने के बाद उनमें प्रोटीन की मात्रा कुछ बढ़ जाती और उनके रेशे खिल उठते हैं, जो पाचन तंत्र के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। मगर इस मौसम में अंकुरित दालों को कच्चा न खाएं, पेट में अमीबा बनने का खतरा रहता है।

एक भगोने में पानी उबालें। उसमें एक छोटा चम्मच नमक और चुटकी भर हल्दी पाउडर डालें और आंच बंद कर दें। उसी गरम पानी में अंकुरित दालों को डाल दें। इन्हें पांच मिनट के लिए ढंक कर छोड़ दें, फिर छन्नी में छान लें और फिर ठंडे पानी में दो-तीन बार धो लें। इस तरह दालों के पकने की प्रक्रिया रुक जाएगी और उनमें कचकचापन बना रहेगा। इस तरह दालें सुपाच्य और स्वास्थ्यकर हो जाएंगी।

जब पानी पूरी तरह निथर जाए, तो उसमें एक छोटा चम्मच चाट मसाला, कटा हुआ हरा धनिया, कुछ हरी मिर्चें, एक प्याज और टमाटर बारीक कटा हुआ डालें और अच्छी तरह मिला लें। कटोरों में परोसें और ऊपर से बेसन की भुजिया और थोड़े कार्नफ्लेक्स मसल कर डालें और खाएं। यह सुबह या शाम के नाश्ते के लिए उत्तम व्यंजन है।