साल 2019 के लोकसभा चुनाव का प्रचार-प्रसार जोरों पर चल रहा था। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आज़म खान एक सभा को संबोधित करने पहुंचे। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने एक अधिकारी का नाम लिए बगैर उससे जूता साफ करवाने की धमकी दे दी। समझने वाले समझ गए थे कि आजम खान का इशारा किसकी तरफ। आने वाले दिनों में वही अफसर आजम खान के लिए मुसीबत बन गया और उनके सियासी करियर पर ग्रहण सा लग गया। यह अफसर कोई और नहीं बल्कि रामपुर के तत्कालीन डीएम आंजनेय कुमार सिंह थे। जो इस वक्त मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर हैं। 


कौन हैं आंजनेय कुमार सिंह: आंजनेय कुमार सिंह सिक्किम कैडर के 2005 बैच के IAS अधिकारी हैं। उत्तर प्रदेश में जब अखिलेश यादव की सरकार थी, तब 16 फरवरी 2015 को वह प्रतिनियुक्ति पर उत्तर प्रदेश आए। बाद में सूबे में योगी की सरकार आई और फरवरी 2019 में आंजनेय को रामपुर का कलेक्टर बना दिया गया। यहां आते ही उन्होंने आजम खान के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी। 


आजम खान के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई: रामपुर में आने के बाद आंजनेय कुमार सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव के वक्त चर्चा में आए। एक तरफ उन्होंने चुनाव अचार संहिता का कड़ाई से पालन करवाया, तो दूसरी तरफ इसका उल्लंघन करने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई भी की। जिसमें आजम खान के तमाम करीबी भी शामिल थे। इसी पर सपा के पूर्व मंत्री आजम खान ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि ”कलेक्टर-फलेक्टर से मत डरियो, ये तनखैय्ये हैं। अल्लाह ने चाहा तो चुनाव बाद इन्हीं से जूते साफ कराऊंगा।”


एक के बाद एक मुकदमा लदता गया: हालांकि इसके बाद आजम खान का वक्त ही पलट गया। 27 किसानों ने तत्कालीन डीएम से मिलकर शिकायत की और कहा कि जौहर विश्वविद्यालय के लिए आजम खां ने उनकी जमीनों पर कब्जा कर लिया है। आंजनेय सिंह ने इस मामले की जांच एसडीएम से करवाई और शिकायत सही पाए जाने पर सभी मामलों में एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे दिया। साथ ही  सरकारी जमीन को आजम खान के कब्जे से छीन कर उसे मुक्त कराई गई। 

आजम के बेटे के विधायकी भी गई: बता दें आजम खान के बेटे अब्दुल्लाह आजम ने स्वार टांडा सीट से 2017 में विधानसभा चुनाव लड़ा था औऱ जीत हासिल की थी। लेकिन बीएसपी के टिकट से चुनाव लड़े नवाब काजिम अली खान ने चुनाव आयोग से शिकायत की कि अब्दुल्लाह आजम ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र लगाकर अपनी उम्र 25 वर्ष दिखाई थी और नामांकन किया था जबकि नॉमिनेशन के वक्त उनकी उम्र 25 साल नहीं थी। इसलिए उनका निर्वाचन रद्द होना चाहिए। चुनाव आयोग ने इस मामले की जांच तत्कालीन रामपुर डीएम आंजनेय कुमार सिंह को दी। आंजनेय कुमार सिंह की रिपोर्ट के आधार पर ही चुनाव आयोग ने अब्दुल्लाह आजम की सदस्यता रद्द कर दी थी।

पूरा परिवार पहुंचा सलाखों के पीछे!: जांच में अब्दुल्ला आजम के पास 2 पैन कार्ड और 2 पासपोर्ट होने की बात भी सामने आई। मुकदमा दर्ज हुआ और रामपुर की सीजेएम कोर्ट ने आजम खां, उनकी पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को सलाखों के पीछे भेज दिया। फिलहाल तंजीन और अब्दुल्ला जमानत लेकर जेल से बाहर हैं, लेकिन आजम खां 23 महीने से सीतापुर जेल में बंद हैं।


बता दें जब आजम खान के खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई तो रामपुर के लोगों को लगा कि कोई ईमानदार अधिकारी आया है तो उनके खिलाफ शिकायतों की फाइलें भी बढ़ने लगीं और उनके खिलाफ 98 से अधिक मुकदमे दर्ज हो गए। इतना ही नहीं, आंजनेय कुमार सिंह ने आजम खान को भू-माफिया भी घोषित कर दिया।

इसके बाद में आंजनेय कुमार सिंह को प्रमोट कर मुरादाबाद मंडल का कमिश्नर बना दिया गया। रामपुर भी इसी मंडल में है। रामपुर में तैनाती के दौरान आंजनेय की लोकप्रियता का आलम यह था कि जब उनका ट्रांसफर हुआ तो लोगों ने बग्घी में बैठाकर फूलों की बारिश करते हुए उन्हें विदाई दी थी। पिछले साल ही केंद्र सरकार ने आंजनेय कुमार सिंह की प्रतिनियुक्ति यूपी में दो साल के लिए बढ़ा दी। अब उन्हें यूपी में 2023 तक प्रतिनियुक्ति मिल गई है


फिर चुनावी मैदान में आजम और अब्दुल्लाह!: बता दें समाजवादी पार्टी की तरफ से  जारी लिस्ट में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्लाह आजम का नाम भी शामिल है। जेल में बंद आजम खान को सपा ने रामपुर से टिकट दिया है जबकि उनके बेटे अब्दुल्लाह आजम खान को स्वार सीट से टिकट मिला है। ऐसे में एक बार फिर आजम खान और उनके परिवार के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई करने वाले आंजनेय कुमार सिंह की चर्चा खूब हो रही है।