डायबिटीज से पीड़ित पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रजनन क्षमता और प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, यदि आप प्रजनन आयु वर्ग में हैं या फिर प्रेग्नेंसी को लेकर कोई समस्या आ रही है तो ब्लड शुगर टेस्ट करवाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। डायबिटीज से प्रभावित लोगों को पहले यह परामर्श दिया जाता है कि वो अपने शुगर लेवल को नियंत्रित रखें और इससे संबंधित जटिलताओं के बारे में अच्छी तरह से जानकारी रखें।
फैमिली प्लानिंग कर रहे कपल्स अच्छी तरह से जांच करा लें, ताकि उसके निहित कारणों का ठीक से पता चल सके। जो कपल्स संतान चाहते हैं, उनका पहले खुद स्वस्थ होना ज़रूरी है, ताकि वे अपने बच्चों के लिए सुरक्षित भविष्य तय कर सकें। लेकिन डायबिटीज से प्रभावित ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें यह पता नहीं है कि यह बीमारी प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी को भी प्रभावित कर सकती है। डायबिटीज की बीमारी का मुख्य कारण होता है पैंक्रियाज में इंसुलिन की मात्रा कम होना, जिसके कारण रक्त में ग्लूकोज का लेवन बढ़ने लगता है।
पुरुषों की प्रजजन क्षमता पर प्रभाव: डायबिटीज से ग्रस्त पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होने लगते है, स्पर्म की गुणवत्ता में कमी आने लगती है, स्पर्म की गतिशीलता कमजोर हो जाती है तथा इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Erectile dysfunction) जैसी कई समस्याएं हो सकती है। स्पर्म की क्वालिटी ख़राब होने से गर्भधारण (गर्भस्थापित) में समस्या तो आती ही है और साथ में भ्रूण भी अच्छी प्रकार से विकास नहीं कर पता है।
टाइप-1 डायबिटीज़ से प्रभावित पुरुष के शुक्राणु उतने गतिशील नहीं होते हैं। ब्लड शुगर बढ़ने से पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन कम हो जाता है। इसके चलते इंसुलिन की प्रतिरोधकता बढ़ जाती है, जिससे टाइप-2 डायबिटीज़ होती है। यही नहीं, टेस्टोस्टेरोन का कंसेंट्रेशन कम होने के चलते शुक्राणु की संख्या और कामेच्छा घट जाती है। (यह भी पढ़ें- स्पर्म काउंट बढ़ाने में मददगार हैं बाबा रामदेव के ये 5 टिप्स, जानिए)
महिलाओं में प्रभाव: जो महिलाएं डायबिटीज की समस्या से परेशान होती है उनमें देर से पीरियड्स आते है और साथ में अन्य प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी दिक्कातों का सामना करना पड़ता है। ब्लड शुगर के बढ़ने से महिलाओं की प्रजनन अवधि 17% घट जाती है और गर्भपात और स्टिलबर्थ (मृत प्रसव) की संभावना बढ़ सकती है। इससे महिलाओं में यौवनावस्था के आरंभ में देरी होती है और असमय ही मीनोपॉज की अवस्था आ सकती है। इस बात को लेकर बहुत सारे शोध एवं अध्ययन हुए है जिनमें यह सिद्ध हो चुका है कि डायबिटीज का सीधा संबंध निःसंतानता से है। (यह भी पढ़ें- स्पर्म काउंट बढ़ाने में कारगर हो सकते हैं ये 4 फूड्स, आज ही अपने डाइट में करें शामिल)
एक अध्ययन के अनुसार यह पाया गया कि जिन महिलाओं को टाइप-1 डायबिटीज थी, उसकी प्रजनन क्षमता एक स्वास्थ्य महिला की अपेक्षा 17 फीसदी कम थी। टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित महिलाओं की प्रजनन प्रवृत्तियां, सामान्य महिलाओं से अलग होती है। टाइप-1 डायबिटीज़ को नियंत्रित करने के लिए इंसुलिन लेने वाली महिलाओं को डॉक्टर्स का परामर्श मानना चाहिए।