प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) एक बार फिर चर्चा में हैं। नीतीश कुमार से बगावत के बाद उन्हें जदयू (जनता दल यूइटेड) से बाहर का रास्ता दिखा गया है। दरअसल, नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के मुद्दे पर प्रशांत किशोर का रुख जदयू के स्टैंड से बिल्कुल अलग था। वे इसके खिलाफ में थे, जबकि नीतीश कुमार इन मुद्दों पर मोदी सरकार के साथ खड़े हैं। नीतीश कुमार ने पहले ही इशारा कर दिया था कि अगर प्रशांत किशोर को जदयू में रहना है तो पार्टी के स्टैंड को फॉलो करना होगा, लेकिन प्रशांत अपने रुख पर अड़े रहे और अंतत: उन्हें बाहर कर दिया गया।
कौन हैं प्रशांत किशोर?: राजनीतिक रणनीतिकार (पॉलिटिकल स्ट्रैटेजिस्ट) के रूप में देश-दुनिया में अपनी पहचान बना चुके प्रशांत किशोर मूल रूप से बिहार के सासाराम में कोनार गांव के रहने वाले हैं। हालांकि कई लोग उन्हें बक्सर का बताते हैं। प्रशांत किशोर खुद एक इंटरव्यू में इस बात को साफ कर चुके हैं कि वे बक्सर नहीं बल्कि कोनार के रहने वाले हैं। हां…पिता की पोस्टिंग की वजह से बक्सर में रहे जरूर हैं। 1977 में जन्मे प्रशांत के पिता डॉ. श्रीकांत पांडे पेशे से चिकित्सक रहे हैं और मां इंदिरा पांडे हाउस वाइफ हैं। प्रशांत किशोर के बड़े भाई अजय किशोर पटना में रहते हैं। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक उनका खुद का कारोबार है। प्रशांत किशोर की दो बहनें भी हैं।
UN में कर चुके हैं काम: प्रशांत किशोर की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई बिहार में हुई है। बाद में वे इंजीनियरिंग करने हैदराबाद चले गए। इस बीच कुछ दिन लखनऊ में भी रहे। इंजीनियरिंग के बाद प्रशांत यूएन के साथ जुड़ गए। यहां उन्होंने यूनिसेफ (UNICEF) के साथ काम किया। बाद में साल 2011 में वे देश वापस लौटे और ‘वाइब्रेंट गुजरात समिट’ से जुड़े। यहीं उनकी मुलाकात गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी से हुई थी। ‘पत्रिका’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रशांत किशोर की पत्नी जान्हवी दास पेशे से डॉक्टर हैं। उनका एक बेटा भी।
पिताजी की ये बात बांध ली है गांठ: प्रशांत किशोर का कहना है कि मैं जो भी हूं अपने माता-पिता के कर्मों की वजह से हूं। प्रशांत किशोर के मुताबिक उनके पिता अक्सर उनसे कहते थे कि अगर किसी व्यक्ति ने कुछ हासिल किया है तो उसके अंदर कुछ न कुछ खूबी जरूर होगी। आप जब उससे मिलें तो देखें कि उसकी खूबी क्या है। ‘द लल्लनटॉप’ से बातचीत में प्रशांत कहते हैं, ‘मैं कह सकता हूं कि लोगों की खूबी ढूंढने की सीख मुझे मेरे पिता से मिली है। मैं किसी से मिलता हूं तो उसकी जाति, धर्म आदि नहीं देखता हूं, उसकी खूबी देखता हूं’। आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ काम कर चुके प्रशांत किशोर ने जगन रेड्डी, नीतीश कुमार, जैसे नेताओं के लिए भी काम किया है। फिलहाल उनकी संस्था आईपैक दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल के लिए काम कर रही है।
खाली वक्त में किताबें पढ़ने का शौक: प्रशांत किशोर को खाली वक्त में किताबें पढ़ना पसंद है। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि रूद्रांग्शू मुखर्जी की किताब ‘नेहरू एंड बोस: पैरलल लाइफ्स’ (Nehru and Bose: Parallel Lives) उनकी पसंदीदा किताबों में से एक है। इसके अलावा ‘विजडम ऑफ क्राउड’ और महात्मा गांधी की आत्मकथा ‘माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ’ भी उनकी पसंदीदा किताब है। वे कहते हैं कि सियासत में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को कम से कम ये किताबें जरूर पढ़नी चाहिए। इससे सोचने-समझने का दायरा बढ़ेगा। प्रशांत किशोर कहते हैं कि मेरा मानना है कि अगर महात्मा गांधी की किसी बात से आप इत्तेफाक नहीं रखते हैं, तो इसका मतलब है कि अभी तक आपके अंदर गांधी को समझने की समझ विकसित नहीं हो पाई है।