रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने साल 2014 में बीजेपी के लिए प्रचार की योजना बनाई थी। इन चुनावो में बीजेपी को भारी बहुमत हासिल हुआ था और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे। चुनावों की रणनीति का जिम्मा प्रशांत किशोर के पास ही था। प्रशांत किशोर की सलाह पर ही बीजेपी ने कई अलग-अलग तरीकों से प्रचार किया था। एक ऐसी ही चुनावी कैंपन का नाम था- चाय पर चर्चा। इसकी रणनीति भी प्रशांत किशोर ने ही बनाई थी।
प्रशांत किशोर ने वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्ता से इस पर बात की थी। प्रशांत किशोर से पूछा गया था कि राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के बीच क्या अंतर है? इसके जवाब में प्रशांत ने कहा था, ‘नरेंद्र मोदी बहुत बहादुर नेता हैं। वह कभी भी रिस्क लेने से नहीं डरते। मैं जब उनके लिए प्रचार कर रहा था तो कई बदलाव किए थे, लेकिन उन्होंने कभी नहीं रोका। एक बार तो 2014 के जनवरी में चाय पर चर्चा की बारी थी।’
प्रशांत किशोर आगे कहते हैं, ‘मुझे डर था कि इस दौरान कोई गड़बड़ न हो जाए क्योंकि यह पहला एपिसोड था। फाइनल इवेंट के लाइव होने से कुछ समय पहले फाइनल ब्रीफिंग थी। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम बहुत परेशान लग रहे हो क्या हुआ? मैंने कहा कि सर पहली बार हम चार-पांच तकनीक को मिला रहे हैं। चीजें एक साथ ठीक नहीं हो पा रही हैं। उन्होंने कहा कोई बात नहीं अगर कुछ गलत होगा तो देखा जाएगा। इसके बाद उन्होंने ट्वीट किया और सब चीजें अच्छे से हो भी गईं।’
जब मोदी पर प्रशांत किशोर ने लिखा था आर्टिकल: प्रशांत किशोर यूएन में नौकरी करते थे। उन्होंने इंटरव्यू में बताया था, ‘मैंने कुपोषण पर एक आर्टिकल लिखा था। इस आर्टिकल में चार राज्यों की तुलना की गई थी, जिसमें गुजरात सबसे अंत में था। नरेंद्र मोदी तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उनके दफ्तर से इस पर फोन आ गया था। उन्होंने कहा था कि बोलने से अच्छा है कि साथ काम करो।
प्रशांत किशोर ने बताया था, ‘मेरे लिए ये फैसला करना बिल्कुल भी आसान नहीं था क्योंकि मैं अच्छे वेतन पर नौकरी कर रहा था। फिर मैंने एक दिन नरेंद्र मोदी से मीटिंग कर कहा कि मैं आपसे सीधा संवाद करूंगा, कोई भी बीच में नहीं होना चाहिए। वह इसके लिए मान गए और मैंने फिर बीजेपी के लिए काम करना शुरू कर दिया था।