साल 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद रणनीतिकार प्रशांत किशोर चर्चा में आए थे। प्रशांत किशोर ने बीजेपी के लिए चुनाव की रणनीति तैयार की थी। इन चुनावों में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला था और नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने थे। चुनाव के कुछ महीनों बाद प्रशांत किशोर ने बीजेपी से खुद को अलग कर लिया था। उन्होंने 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू के लिए बतौर रणनीतिकार काम किया था।
नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनने के बाद प्रशांत किशोर को जेडीयू में अहम जिम्मेदारी दी थी। प्रशांत किशोर ने साल 2019 में ‘NDTV’ के साथ इंटरव्यू में बताया था, ‘मैं जेडीयू जॉइन करने के बाद भी अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलता रहता हूं। मैं जेडीयू की विचारधारा से सहमत हूं, इसलिए मैंने जेडीयू जॉइन की थी, न कि बीजेपी। मैंने बीजेपी के लिए चुनाव की रणनीति बनाई और उसमें सांप्रदायिकता को बिल्कुल भी बढ़ावा नहीं दिया गया।’
एंकर पलटकर प्रशांत किशोर से सवाल पूछते हैं, ‘आप किसी भी व्यक्ति को उस दिन से देखेंगे, जिस दिन से आप मिले हैं या उसके इतिहास पर भी नज़र मारेंगे? आप ऐसा कैसे कह सकते हैं कि बीजेपी ने सांप्रदायिकता को बढ़ावा नहीं दिया था?’ प्रशांत इसके जवाब में कहते हैं, ‘आप सिर्फ नरेंद्र मोदी को ही इसके लिए निशाना नहीं बना सकते हैं। देश में हर नेता के साथ कोई न कोई विवाद तो जुड़ा ही होता है। 2014 के चुनाव प्रचार में हमने इन सब चीजों का बहुत ध्यान रखा था कि किसी भी धर्म या जाति की भावनाएं आहत न हों।’
कैसे हुई थी पीएम मोदी से पहली मुलाकात? प्रशांत किशोर ने एक अन्य इंटरव्यू में बताया था, ‘जब वह जिनेवा शिफ्ट हो रहे थे तो अचानक नरेंद्र मोदी के ऑफिस से फोन आ गया था और वह उस दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री थे। दरअसल उन्होंने अमीर राज्यों की तुलना करते हुए कुपोषण पर एक पेपर लिखा था। इसमें गुजरात को अंत में रखा गया था। इसके बाद गुजरात के सीएम ऑफिस से फोन आया और मुझे साथ काम करने के लिए कहा गया।’
प्रशांत ने कहा था, ‘मैं चाहता था कि पीएम मोदी और मेरी सीधी बातचीत होनी चाहिए। मैंने मुलाकात के दौरान यही बात उनके सामने भी रखी। अक्सर वह मुझसे सलाह भी मांगा करते थे तो मैंने उन्हें ट्विटर और फेसबुक समेत अन्य सोशल मीडिया इस्तेमाल करने के लिए कहा था।’