प्रशांत किशोर ने कई राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनाव रणनीति बनाई। कुछ चुनावों में उन्हें कामयाबी हासिल हुई जबकि कुछ में असफलता भी हाथ लगी। प्रशांत किशोर ने बतौर रणनीतिकार अपने करियर का मील का पत्थर साल 2014 का आम चुनाव बताया है। प्रशांत ने कहा था, ‘उस चुनाव के बाद अन्य राजनीतिक पार्टियों को भी मुझपर विश्वास होने लगा। क्योंकि उसमें एक अच्छी जीत बीजेपी को मिली थी।’

2014 के चुनाव के बाद प्रशांत किशोर की राह बीजेपी से अलग हो गई। उन्होंने इसके बाद साल 2015 में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ रही जेडीयू के लिए रणनीति बनाई। द लल्लनटॉप के इंटरव्यू में उनसे प्रधानमंत्री मोदी से अलग होने की वजह के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया, ‘चुनाव से पहले से हम लोगों की सोच रही है जो उनके साथ स्थापित भी हुई कि भारत में लेटरल एंट्री की बहुत जरूरत है।’

प्रशांत ने आगे कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी से अलग होने की सबसे बड़ी वजह कोई अमित शाह या अन्य मुद्दा नहीं है बल्कि हम लोग एक संस्था बनाना चाहते थे। जो प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए काम करे। इससे युवाओं को जोड़ा जाए जो अपना योगदान दे सकें। उस पर उनका समर्थन भी था। C.A.G या I-PAC जो राजनीतिक कैंपेन करती हैं कुछ ऐसा ही गवर्नेंस में बनाया जाए। मई के बाद कुछ ऐसा हुआ क्योंकि प्रधानमंत्री बनने के बाद आपके पास एक लाख काम हो जाते हैं।’

किस बात पर पीएम मोदी से हुआ मन-मुटाव? उन्होंने आगे बताया, ‘बाद में उनसे इस पर फिर से बात हुई। वो कहते रहे कि इसे उस मंत्रालय में लेते, इसे इस मंत्रालय में लेते हैं। शायद वो थोड़ा समय मांग रहे थे। मैं स्वाभाविक रूप से बेसब्रा हूं। सितंबर या अक्टूबर में मैंने उन्हें कहा कि आपने C.A.G बनाते समय तो पूछा नहीं। शायद वो थोड़ा समय लेना चाहते थे। फिर मैंने नवंबर में नीतीश कुमार से मुलाकात की। वह मुझे अच्छे से जानते हैं और मैं भी उन्हें अच्छे से जानता हूं।’

प्रशांत किशोर ने कहा, ‘कई जगहों पर मुझसे भी गलती हुई। मैंने नीतीश कुमार के लिए इसी शर्त पर काम किया था कि आप मुझे करने देंगे और अपने तरीके से काम करने देंगे। उन्होंने मेरी बात मानी लेकिन वहां मेरी ही गलत रही। मैं वहां बीच में ही छोड़कर आ गया। आज भी बिहार में इस पर काम हो रहा है।’