मुलायम सिंह यादव कि तीसरी पीढ़ी राजनीति में सक्रिय है। जहां एक तरफ मुलायम केंद्रीय मंत्री से लेकर देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। तो वहीं उनके बेटे अखिलेश यादव ने भी यूपी सीएम की कुर्सी संभाली। हालांकि सियासत में इतनी सीढ़ियां चढ़ना मुलायम के लिए आसान नहीं था। इस सफर में उन्हें कई झटके भी लगे। दो भतीजों, रणवीर सिंह उर्फ दद्दू और असित उर्फ बिल्लू की समय पूर्व मौत से तो मुलायम समेत पूरा यादव परिवार अब तक उबर नहीं पाया है।
रणवीर सिंह उर्फ दद्दू मुलायम के सगे भाई रतन सिंह के सबसे बड़े बेटे थे। साल 1996 में उनका आकस्मिक निधन हो गया। उस वक्त वे सैफई के ब्लॉक प्रमुख थे। दद्दू अपने पिता से कहीं ज्यादा चाचा मुलायम के करीब थे। कहते हैं कि सैफई महोत्सव की शुरुआत दद्दू ने ही की थी। वे पार्टी के लिए तमाम रणनीति बनाने से लेकर नेताजी की मदद किया करते थे। उनके अचानक जाने से मुलायम को काफी झटका लगा।
3 साल में लगा था दूसरा झटका: मुलायम सिंह यादव और यादव परिवार दद्दू के जाने का गम अभी मिटा भी नहीं पाया था कि उन्हें एक और झटका लगा। साल 1999 में मुलायम सिंह के चचेरे भाई प्रोफेसर रामगोपाल यादव के बेटे असित उर्फ बिल्लू की समय पूर्व आकस्मिक परिस्थितियों में मौत हो गई। निधन से 40 दिन पहले ही बिल्लू की उनके बचपन के दोस्त अभिलाषा से शादी हुई थी।
जिस वक्त बिल्लू का निधन हुआ उस वक्त अभिलाषा प्रेग्नेंट भी थीं। 2 साल के अंदर परिवार के दो सदस्यों के इस तरह अचानक चले जाने से पूरा यादव परिवार टूट गया था। खासकर मुलायम के लिए ये निजी झटका था। दद्दू की ही तरह बिल्लू भी मुलायम के बेहद करीबी थे।
अखिलेश यादव की जीवनी ‘विंड्स आफ चेंज’ में वरिष्ठ पत्रकार सुनीता एरोन लिखती हैं कि बिल्लू मुलायम सिंह के साथ उनके विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पर ही साथ रहा करते थे और उनकी तमाम मीटिंग से लेकर शेड्यूल आदि की जिम्मेदारी संभालते थे।
अखिलेश और बिल्लू में थी गहरी दोस्ती: अखिलेश यादव अपने सभी भाइयों में बिल्लू के सबसे ज्यादा करीब थे। दोनों के बीच खूब बातें हुआ करती थीं और दोनों साथ में खूब समय बिताया करते थे। यहां तक कि जब अखिलेश सिडनी पढ़ने गए तब कई-कई दिनों तक उनकी घर पर बात नहीं होती थी, लेकिन वे लगातार बिल्लू के संपर्क में थे और दोनों की बातचीत हुआ करती। बाद में कई इंटरव्यू में अखिलेश ने बिल्लू के निधन को अपनी व्यक्तिगत क्षति बताई।