उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पहले ही साफ कर दिया था कि इस बार वह किसी बड़े दल के साथ चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगे। ऐसे में शिवपाल सिंह यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के साथ समाजवादी पार्टी के गठबंधन के कयास लगाए जा रहे थे। अब शिवपाल ने साफ कर दिया है कि उन्होंने अखिलेश के सामने एक शर्त रख दी है, अगर वह उसे मान लेते हैं तो हम गठबंधन कर लेंगे और ये शर्त है कि उन्हें हमारे लोगों को सम्मानपूर्वक टिकट देने होंगे। अखिलेश और शिवपाल की बातचीत के बीच मुलायम सिंह यादव का एक पुराना इंटरव्यू वायरल हो रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता इस इंटरव्यू के दौरान मुलायम सिंह यादव से पूछते हैं, ‘अन्य राज्यों को देखें तो उनमें बहुत बदलाव आया है, लेकिन यूपी के गांव में कोई बदलाव नहीं आया है। यूपी 10-15 साल से बिल्कुल पिछड़ गया है। आखिर ऐसा क्यों हुआ?’ इसके जवाब में उन्होंने कहा था, ‘यूपी के पीछे रहने के तीन मुख्य कारण थे। पहला था कि यूपी का प्रधानमंत्री होने के बाद भी विकास का पैसा नहीं मिल पाया था। क्योंकि उन्हें लगता था कि अगर वो यूपी की मदद करेंगे तो अन्य राज्य बुरा मान जाएंगे।’
मुलायम सिंह यादव ने आगे बताया था, ‘अयोध्या आंदोलन के बाद चंद्रशेखर ने पैसा देने का प्रयास किया था, लेकिन उनकी सरकार ही चली गई थी। दूसरा कारण था कि हमारे जितने सांसद-विधायक चुने जाते हैं वो कभी हमारी बात आगे नहीं रखते। सांसद सिर्फ बहस करते हैं और वो दिल्ली जाने के बाद भी सचिवालय के किसी अधिकारी से मदद नहीं मांगते हैं। मैं आपको उदाहरण के रूप में बता दूं कि जब मैं पहली बार रक्षा मंत्री बना तो कोई सांसद-विधायक उत्तर प्रदेश से मुझे मिलने के लिए नहीं आया। अन्य राज्यों के सभी नेता हमसे मिलने के लिए आते थे।’
तीसरा कारण: पूर्व सीएम ने कहा था, ‘तीसरा कारण था कि हमारे सूबे के IAS अधिकारी भी ऐसे ही थे। उन्होंने कभी यूपी की चिंता नहीं की। केंद्रीय सचिवालय में होने के बाद भी उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसके अलावा पिछली सरकारों में भ्रष्टाचार को भी हद से ज्यादा बढ़ावा दिया गया था।’
कब बने थे रक्षा मंत्री? बता दें, साल 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिरने के बाद कांग्रेस के सहयोग से यूनाइटेड फ्रंट की सरकार बनी थी और एच डी देवगौड़ा देश के प्रधानमंत्री बने थे। इस फ्रंट में जनता दल, समाजवादी पार्टी और डीएमके जैसी 13 पार्टियां शामिल थीं। इस सरकार में मुलायम सिंह यादव को भी अहम मंत्रालय दिया गया था। वह देश के रक्षा मंत्री बने थे। हालांकि ये सरकार लंबे समय तक नहीं चल सकी थी।
उस दौरान सियासी गलियारों में तो ये भी चर्चा थी कि मुलायम सिंह यादव देश के प्रधानमंत्री बन सकते थे। मुलायम ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि सब चीजें तय हो गई थीं और उन्हें सुबह शपथ लेनी थी, लेकिन लालू प्रसाद यादव और शरद यादव के विरोध के कारण वह देश के प्रधानमंत्री नहीं बन पाए थे।