साल 1990 में बीजेपी के कई बड़े नेता राम मंदिर का मुद्दा बहुत जोर-शोर से उठा रहे थे। लाल कृष्ण आडवाणी ने भी गुजरात के सोमनाथ मंदिर से रथ यात्रा की शुरुआत की थी। हालांकि बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने उनकी रथ यात्रा को रुकवा दिया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। लाल कृष्ण आडवाणी को गेस्ट हाउस में नजरबंद रखा गया। गिरफ्तार के बाद लाल कृष्णा आडवाणी ने अपनी पत्नी से बात करने की अपील की थी।
लालू प्रसाद यादव ने अपनी आत्मकथा ‘गोपालगंज से रायसीना: मेरी राजनीतिक यात्रा’ में इस घटना का जिक्र किया है। लालू यादव लिखते हैं, ‘गिरफ्तारी के दो दिन बाद मैंने आडवाणी को फोन किया और कहा कि यहां आसपास गेस्ट हाउस में काफी हरियाली है, आपको टहलते हुए यहां बहुत आनंद आएगा। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखिएगा कोई परेशानी हो तो मुझे फोन कर लीजिएगा।’
अधिकारियों के मना करने पर भी दी इजाजत: लालू यादव लिखते हैं, ‘नजरबंद रहते हुए आडवाणी ने एक विशेष अनुरोध किया- वह अपनी पत्नी कमला आडवाणी से बात करना चाहते थे। उन्होंने मुझे कहा कि वह उन्हें मिस कर रहे हैं और उनसे बातचीत किए बिना बेचैनी महसूस हो रही है। मैं इस अनुरोध को स्वीकार करने से पहले कई बार सोचने लगा था। ऐसे में हो सकता है कि वह कोई ऐसी बात कह दें, जिससे माहौल खराब हो जाए या कुछ गोपनीय बात साझा कर दें।’
लालू यादव ने बताया, ‘मेरे सहयोगियों और अधिकारियों ने मुझे उनका अनुरोध नहीं मानने की सलाह दी। लेकिन मैं उनके अनुरोध पर पिघल गया। पत्नी से बात करवाने के लिए जल्द ही हॉटलाइन की व्यवस्था की गई। आडवाणी फिर दिन में दो बार उनसे बात करते थे। मैंने सुधीर को कमरे में मौजूद रहने के लिए कहा। एक बार सुधीर को कमरे में देखकर वह नाराज भी हो गए थे। उन्होंने कहा था कि आपके मुख्यमंत्री मुझपर इतना भी विश्वास नहीं करते हैं?’
पत्रकार बनकर किया सर्किट हाउस में फोन: लाल कृष्ण आडवाणी समस्तीपुर स्थित सर्किट हाउस में रुके हुए थे। यहां वह अपने समर्थकों के साथ थे। ऐसे में लालू यादव उन्हें गिरफ्तार करने से पहले मौके की पूरी छानबीन करना चाहते थे। लालू ने पत्रकार बनकर सर्किट हाउस में फोन किया और वहां की पूरी पूरी जानकारी ली। जब उनके सहयोगी ने बताया कि समर्थक अपने घर जा चुके हैं तो लालू इस मौके को नहीं गंवाना चाहते थे। उन्होंने अधिकारियों को तुरंत आडवाणी को गिरफ्तार करने से आदेश दिए।

