डॉ. कुमार विश्वास बीते दिनों इंदौर में कौटिल्य एकेडमी के स्थापना समारोह में पहुंचे थे। इस दौरान वे छात्रों से रूबरू हुए और अपने अनुभव भी साझा किये। उन्होंने कहा, “यहां से जितने बच्चे पढ़कर निकले हैं वह भी बच्चों को पढ़ायें जिनके पास पढ़ने के लिए पैसे हैं। ऐसी मेरी चाहत है। क्योंकि दूसरों को मारकर खाइए ये विकृति है, वो अपना खाए आप अपना खाओ ये प्रकृति है। लेकिन दूसरा खा सके आप उसकी चिंता करके खाओ ये संस्कृति है।”

कुमार विश्वास ने कहा कि लोग मुझे कहते हैं आप धारा के विपरीत क्यों बहते हैं, मैं कहता हूं, “जिंदा छातियां और बाहें धारा के विपरीत तैरती हैं, लाशें धारा के साथ बहती हैं।” विद्यार्थियों के लिए उन्होंने कहा कि ये जो परीक्षाएं हैं ये तो केवल एक हर्डल है, जिंदगी तो इससे आगे शुरू होगी। थोड़े समय के लिए आपको भ्रमित करने के लिए सारे उपचार हैं। मोबाइल है जिसमें सारी दुनिया है।

आगे उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग मुझसे पूछते हैं कि आपको बचपन की बहुत सारी बातें याद कैसे हैं, तो मुझे लगता है कि मेरी स्मरणशक्ति इसलिए अच्छी है क्योंकि मेरे समय में मोबाइल फोन नहीं था। कोई डायवर्जन ही नहीं था। जीवन में जो काम करता हूं, एकाग्र होकर करता हूं। एकेडमी तो सिर्फ एक चौहद्दी है, जिसने आपको माहौल दिया है, असली टॉपर तो आपके अंदर है।

कुमार विश्वास ने बच्चों से कहा, “आज से कसम खा लो कि जब तक यह परीक्षा क्रैक नहीं कर लोगे, दिनभर में मोबाइल सिर्फ 2 घंटे के लिए छूओगे, एक घंटे सुबह एक घंटे शाम। जब तक चयन नहीं हो जाए, 8 घंटे पढ़ाई, 2 घंटे टीवी और मोबाइल मिलाकर, 4 घंटे कोई और काम जो आप करते हों, इसके अलावा 8 घंटे की नींद; ये अगर टाइम-टेबल बना लो तो परीक्षा में कुछ नहीं रखा है।”

आगे उन्होंने कहा कि तीसरी एक कसम और लीजिए, “आज रात को घर जाकर सोने से पहले खुद से वादा करोगे, अपना नाम लेकर खुद से कहोगे कि मैं तुझे कसम खाकर भरोसा दिलाता हूं कि जिस प्रतियोगी परीक्षा के लिए माँ-बाप ने मुझे यहां पर भेजा है; उसको किसी भी हालत में मैं पार करके दिखाऊंगा।” और अगर यह कसम खा ली तो करके दिखाओगे। अंत में उन्होंने कहा, “ना किसी राह ना रहगुजर से निकलेगा, हमारे पांव का कांटा हमी से निकलेगा।”