Fatty Liver Disease:दिल और दिमाग की तरह ही लीवर (Liver)भी बॉडी का अहम हिस्सा है जिसके प्रमुख कार्य एल्बुमिन का उत्पादन (production of albumin)करना है। एल्बुमिन एक प्रोटीन है जो रक्तप्रवाह में तरल पदार्थ को आस-पास के ऊतकों में लीक होने से रोकता है। पित्त (bile)का उत्पादन करना। ये तरल पदार्थ छोटी आंत में पाचन और वसा के अवशोषण के लिए महत्वपूर्ण है। लीवर का काम खून को छानना और एंजाइमों की सक्रिता बनाए रखना, ग्लाइकोजन, विटामिन और खनिजों को स्टोर करना है। शरीर में सबसे बड़ा आंतरिक अंग होने के नाते, लीवर को कई भूमिकाएं निभानी पड़ती हैं।

बॉडी के इस जरूरी अंग की देखभाल करना बेहद जरूरी है। लीवर की समस्याओं में फैटी लीवर की बीमारी सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। इस बीमारी के लक्षणों की समय पर पहचान करली जाए तो कई तरह के जोखिम से बचा जा सकता है। लीवर फैटी होने पर उसके लक्षण हमारी बॉडी में दिखने लगते हैं। पेट में और पैर में फैटी लीवर के दो वॉर्निंग साइन पहले दिखने लगते हैं। अगर लक्षणों की समय पर पहचान कर ली जाए तो स्थिति को गंभीर होने से बचाया जा सकता है। आइए जानते हैं कि लीवर के फैटी होने के लक्षणों की पहचान कैसे करें।

लीवर फैटी होने का क्या कारण है: (What causes fatty liver disease?)

फैटी लिवर की बीमारी तब होती है जब लिवर में अतिरिक्त फैट जमा हो जाता है। फैटी लीवर कई कारणों से हो सकता है जिसमें सबसे प्रमुख कारण शराब का अधिक सेवन करना है। शराब का अधिक सेवन करने से अल्कोहलिक फैटी लीवर (alcoholic fatty liver disease) की बीमारी होती है। अल्कोहलिक ड्रिंक (Alcoholic drinks) आपके लीवर की वसा को तोड़ने के बजाय अधिक वसा जमा करते हैं।

नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज (NAFLD)एक अन्य प्रकार के फैटी लीवर की बीमारी है, जो मुख्य रूप से मोटापे, टाइप 2 डायबिटीज, इंसुलिन प्रतिरोध, ब्लड में वसा (ट्राइग्लिसराइड्स) के उच्च स्तर और मेटाबॉलिक सिंड्रोम (metabolic syndrome)जैसे कारकों के कारण होती है। उम्र, आनुवंशिकी, कुछ दवाएं, और गर्भावस्था फैटी लीवर रोग के अन्य जोखिम कारक हैं।

फैटी लीवर आपके पैरों और पेट को प्रभावित कर सकता है:

फैटी लीवर की बीमारी से सबसे बड़ा बचाव समय पर इलाज कराना है। यदि फैटी लीवर की बीमारी का समय पर इलाज नहीं कराया जाए तो इस बीमारी के लक्षण घातक हो सकते हैं। क्लीवलैंड क्लिनिक के विशेषज्ञों का मानना ​​​​है कि इस बीमारी के बढ़ने पर पैरों और पेट में कुछ लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं। लगातार वसा का निर्माण अंगों की सूजन का कारण बन सकता है। फैटी लीवर होने पर पैरों और पेट में अतिरिक्त समस्याएं हो सकती हैं।

फैटी लिवर की परेशानी में पेट के ऊपर की तरफ राईट साइड दर्द होता है। मरीज को भूख कम लगती है। कुछ लोगों का लीवर फैटी होने पर उनका वजन भी कम होने लगता है। जिन लोगों का लीवर फैटी होता है उनके पैरों में हल्की सूजन बनी रहती है।