कमर से लेकर सिर तक जाने वाली हड्डी को रीढ़ की हड्डी कहते हैं, इसमें होने वाले दर्द को स्पॉन्डिलाइटिस कहते हैं। रीढ़ की हड्डी का दर्द एक ऐसा दर्द होता है जो कभी नीचे से ऊपर और कभी ऊपर से नीचे की ओर बढ़ता है। रीढ़ की हड्डी में दर्द के कई कारण हैं जैसे बढ़ती उम्र, बैठने का गलत तरीका, खराब जीवनशैली, एक्सरसाइज नहीं करना, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना स्पॉन्डिलाइटिस के प्रमुख कारण होते हैं।
रीढ़ की हड्डी नसों का समूह होता है जो दिमाग के संदेश शरीर के बाकी हिस्सों तक पहुंचाते हैं। स्पाइनल कोर्ड में किसी भी तरह की चोट पूरी बॉडी में परेशानी पैदा करने लगती है। इस चोट की वजह से कमर में बेहद दर्द रहता है और उठने-बैठने में भी परेशानी होती है। एमआरआई जांच द्वारा रीढ़ की हड्डी में संकुचन और इसके कारण स्पाइनल कॉर्ड पर पड़ने वाले दबाव की गंभीरता को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
अगर आप भी स्पाइनल कॉर्ड में दर्द से परेशान हैं तो बाबा रामदेव के नुस्खों को अपनाएं। इन नुस्खों को अपनाकर आप जल्द ही दर्द से राहत पा सकते हैं।
मकरासन कीजिए:
स्पाइनल कॉर्ड में दर्द से परेशान हैं तो मकरासन कीजिए। इस आसन को करने के लिए पेट के बल लेट जाएं और कोहनियों के सहारे सिर और कंधों को उठाएं। हाथों की हथेली को ठोड़ी में चिपकाए। इसके बाद दोनों पैरों को ऊपर-नीचे करें। इस आसन को करने से काफी हद तक स्पाइनल कॉर्ड के दर्द से राहत मिलती है।
भुजंगसान दर्द से दिलाता है राहत:
भुजंगसान गर्दन और कंधे की जकड़न को दूर करता है। इसे करने से कमर से लेकर गर्दन तक के दर्द से राहत मिलती है। सर्वाइकल पेन से निजात पाने के लिए भी ये आसन बेस्ट है।
शलभासन करें:
स्पाइन की परेशनी में शलभासन करें। इस आसन को करने से स्लिप डिस्क, कमर दर्द, साइटिका, सर्वाइकल पैन से निजात मिल जाती है। जिन लोगों को स्लिप डिस्क की परेशानी होती है वो इस आसन को करें। याद रखें कि दोनों पैरों को एक साथ नहीं उठाएं। पहले एक पैर उठाए और फिर उसे नीचे करके दूसरा पैर उठाएं। अस आसन का अभ्यास करने पर आपको दर्द से राहत मिलेगी। पेट के बल लेटकर किए जाने वाले ये अभ्यास तेजी से दर्द से राहत दिलाएंगे।
रीढ़ की हड्डी के दर्द से राहत पाने के लिए उपाय
- डाइट में ऐसे जूस का सेवन करें जिनसे इम्युनिटी स्टॉन्ग रहे। गिलोय जूस, चुकंदर का जूस, खीरा और करेला का जूस पीजिए आपको दर्द से राहत मिलेगी।
- बहुत ज्यादा दर्द है और पित्त बढ़ा हुआ है तो गिलोय, निरगुंडी, अश्वगंधा का सेवन करें।
- दूध में हल्दी और शीलाजीत मिलाकर उसका सेवन करें।