जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा को भारत की दिशा तय करने वाला उद्यमी भी कहा जाता है। जे.आर.डी टाटा ने भारत को पहली एयरलाइन्स दी और इसके अलावा कंपनी के अन्य कई व्यवसाय भी शुरू किए थे। जे.आर.डी टाटा ने 70 के दशक में दिल्ली में भी अपने व्यवसाय के पैर फैलाने शुरू कर दिए थे। जे.आर.डी टाटा ने ही दिल्ली के मान सिंह रोड पर स्थित ताज होटल बनवाने का फैसला किया था, लेकिन इस दौरान उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
प्रसार भारती अभिलेखागार ने जे.आर.डी टाटा की रेडियो ऑटोबायोग्राफी का संपादित अंश जारी किया है। इसमें उन्होंने बताया था, ‘इमरजेंसी के दौरान भी मैं इंदिरा गांधी के करीब रहा और हम अच्छे दोस्त भी थे। उस दौरान सबको पता है कि संजय गांधी कैसा बर्ताव करते थे। खासकर, एक अनियन्त्रित शासक की तरह जबकि उनके पास कोई संवैधानिक पद भी नहीं था। क्योंकि न वो सांसद थे और न ही उनके पास कोई पद था। वह कई चीजों में एक शासक की तरह बर्ताव करते थे। खैर, उस दौरान हम लोग दिल्ली में टाटा का एक होटल बना रहे थे।’
संजय गांधी के ऑर्डर पर पहुंचे पुलिसकर्मी: जे.आर.डी ने आगे बताया था, ‘हम लोगों ने एक नहीं बल्कि दिल्ली में दो होटल बनाए थे। लेकिन हमारा पहला ताज होटल था जो मान सिंह रोड पर बन रहा था। वहां साइट पर एक पुराना होटल था। हमने उसे खरीद लिया था। हम सभी पर्मिट की तलाश में थे। हमने ताज (मुंबई) से 10 लोगों को भेजा और हमने उसे गिराने के लिए पूरा प्लान बनाया। एक दिन कुछ पुलिसकर्मी आए और दरवाजे पर ताला लगा दिया। हमें नहीं पता था कि ये क्या है? उस दौरान हमारे जनरल मैनेजर थे मिस्टर कैलकर। उन्हें मुंबई से दिल्ली भेजा गया।’
जे.आर.डी ने बताया, ‘हमें पता चला कि इसे रोकने के आदेश संजय गांधी द्वारा दिए गए थे। वह संजय गांधी से मिलना चाहते थे। कैलकर ने उन्हें कहा कि आपने ऐसा क्यों किया? हम टाटा हैं और दिल्ली में एक शानदार होटल बनाना चाहते हैं। संजय ने जवाब दिया कि हम सरकारी होटल बनाना चाहते हैं। 15 मिनट बातचीत के बाद संजय गांधी को कैलकर ने अपना प्लान बताया। उन्होंने कुछ चीजों पर अपनी सलाह दी और फिर दोबारा काम शुरू हो पाया। कैलकर ने मुझे कहा कि आपको कम से कम उन्हें बता देना चाहिए था और फिर हमने ऐसा किया भी।’