राजस्थान में लंबे समय तक कांग्रेस की सरकार रही थी। करीब 17 साल तक तो कांग्रेस की तरफ से मोहनलाल सुखाड़िया ही मुख्यमंत्री रहे थे। इसके बाद सूबे की कमान इंदिरा गांधी ने बरकतुल्लाह खान को दे दी थी। उन्हें प्यारे मियां के नाम से भी जाना जाता था। वह राजस्थान के इकलौते मुस्लिम मुख्यमंत्री थे। उनके सीएम बनने के पीछे इंदिरा गांधी का एक फोन था, जिसने उनकी पूरी सियासत ही बदलकर रख दी थी।

फिरोज़ गांधी के करीबी: इंदिरा गांधी की शादी फिरोज़ गांधी से हुई थी। प्यारे मियां और फिरोज़ गांधी की मुलाकात पहली बार लखनऊ में हुई थी। देखते ही देखते ये दोस्ती गहरी होती गई और इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वह उन्हें भाभी कहकर बुलाया करते थे। बात 1971 की है जब बांग्लादेश की मांग जोरों पर थी। इसी मुद्दे को लेकर सुखाड़िया सरकार में मंत्री बरकतुल्लाह को अन्य नेताओं के साथ लंदन भेजा गया था।

यहां वह लंदन पहुंचे ही थे कि इंदिरा गांधी का फोन आता है। ‘द लल्लनटॉप’ के मुताबिक, होटल में इंदिरा गांधी का फोन आता है और उधर से आवाज़ आती है- मैडम प्यारे मियां से बात करना चाहती हैं। प्यारे मियां यानी बरकतुल्लाह फोन थामते हैं और दूसरी तरफ से आवाज़ आती है- वापस आ जाओ, तुम्हे राजस्थान का सीएम बनाया गया है। आकर शपथ लो। ये सुनते ही प्यारे मियां जवाब देते हैं- जी भाभी।

ये प्यारे मियां के लिए भी चौंकाने वाला था क्योंकि उन्हें इस बात का बिल्कुल भी इल्म नहीं था। वह तुरंत दिल्ली वापस लौटने का फैसला करते हैं। दिल्ली आने के बाद उन्हें पता चलता है कि फोन कॉल भी असली और फोन पर कही बात भी। 9 जुलाई 1971 को उन्हें राजस्थान की कमान सौंप दी जाती है।

ये उस समय सबके लिए चौंकाने वाला फैसला था क्योंकि इससे पहले जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री ही मुस्लिम थे। इसके बाद राजस्थान का सीएम एक मुस्लिम चेहरे को बना दिया जाता है। बरकत इससे पहले भी सूबे में कई अहम पदों पर रह चुके थे। उन्हें राज्यसभा भी भेजा गया था, लेकिन वह अपने राज्य की राजनीति में ही आगे की पारी खेलना चाहते थे। इसलिए वह राज्यसभा छोड़कर विधानसभा पहुंच गए थे और उन्हें सुखाड़िया सरकार में मंत्री तक बना दिया गया था।