डायबिटीज पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ी परेशानी का सबब है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 42.2 करोड़ लोग डायबिटीज के मरीज हैं। इनमें से हर साल 15 लाख लोगों की मौत डायबिटीज के कारण हो जाती है। डायबिटीज एक तरह से सिंड्रोम है जो खुद में तो कोई बीमारी नहीं है लेकिन इससे कई अन्य बीमारियां हो जाती है। शुरुआत में इसके बहुत मामलू लक्षण दिखते हैं, इसलिए गरीब देशों के लोगों का ध्यान इस पर नहीं जाता। लेकिन यही लक्षण बाद में जाकर बहुत गंभीर हो जाते है और कई अन्य बीमारियों को जन्म देते हैं।
दरअसल, जब खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाए और ग्लूकोज को अवशोषित करने वाले इंसुलिन कम बने या काम करना बंद कर दे तो डायबिटीज की बीमारी हो जाती है। ग्लूकोज शुगर से बनता है। यह भोजन के माध्यम से शरीर में जाता है। अगर प्री-डायबेटिक स्टेज में ब्लड शुगर को कंट्रोल कर लिया जाए तो डायबिटीज होने का खतरा बहुत कम हो सकता है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि वास्तव में खून में ब्लड शुगर होना कितना चाहिए।
कितना होना चाहिए ब्लड शुगर:
खून में ब्लड शुगर कितना होना चाहिए यह ऑवरऑल हेल्थ, उम्र, हेल्थ कंडीशन और कितने दिनों से डायबिटीज है, इन बातों पर निर्भर करता है। अगर कोई बीमारी नहीं है तो 18 साल से ऊपर एक वयस्क व्यक्ति का ब्लड शुगर रेंज फास्टिंग में 99 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर या इससे कम होना चाहिए। वहीं खाना खाने के एक से दो घंटे बाद 140 मिली ग्राम ब्लड शुगर प्रति डेसीलीटर होना चाहिए। 40 साल के बाद अक्सर ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए। अगर नॉर्मल रेंज से ज्यादा ब्लड शुगर हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
45-50 साल की उम्र में कितना होना चाहिए ब्लड शुगर लेवल:
जिन डायबिटीज के मरीजों की उम्र 45-50 साल है तो उनकी फास्टिंग शुगर 90 से 130 mg/dL होना ठीक है। खाने के बाद शुगर लेवल 140 mg/dl से कम होना चाहिए। रात के खाने के बाद 150 mg/dl का स्तर सामान्य माना जाता है। 45-50 साल की उम्र में शुगर लेवल अगर 300 को पार कर जाए तो आपके लिए मुसीबत बन सकता है।
ब्लड शुगर को कम कैसे करें:
खून में ज्यादा ब्लड शुगर होने को हाइपरग्लिसीमिया कहते हैं। इसे समय रहते कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। अगर खून में नॉर्मल से ज्यादा ब्लड शुगर हो तो तुरंत लाइफस्टाइल में बदलाव करें। थोड़ा भी तनाव न लें। ज्यादा घूमे। खूब एक्सरसाइज करें। पैदल खूब चलें, घर का छोटा-मोटा काम खुद से करें। चीनी, ज्यादा नमक, कोल्ड ड्रिक, मिठाई खाने पर पाबंदी लगा लें। जिन चीजों में ज्यादा कार्बोहाइड्रेट होता है उसे न खाएं। हेल्दी खाना खाएं। भोजन में हर दिन सलाद लें। ज्यादा देर तक भूखा न रहें। कम-कम खाएं लेकिन जल्दी-जल्दी कुछ न कुछ खाएं। प्रोसेस्ड फूड बिल्कुल न खाएं। भोजन में जितना हो सके हरी पत्तेदार सब्जियां का सेवन करें। फ्रूट का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें।
