उन्हें हर समय कुछ चटपटा, चटखारेदार खाने का मन होता है। इसलिए बच्चे दिन भर चिप्स और कुरकुरे खाते रहते हैं। मगर उनसे जरूरी पोषण तो मिलता नहीं, उनकी सेहत पर बुरा प्रभाव अलग पड़ता है। इसलिए घर में कुछ ऐसी चीजें बनाई जा सकती हैं, जो चटपटी, चटखारेदार और पोषण से भरपूर हों। इस बार कुछ ऐसे ही व्यंजन।

कुरकुरी मटर चाट

ट बनाने का कोई तय तरीका नहीं है। चाट नाम दरअसल, उसके चटपटा होने की वजह से पड़ा है। इसलिए जो भी इस तरह की चटपटी चीजें बनती हैं, उन्हें चाट की श्रेणी में डाल दिया जाता है। चाट की अनेक किस्में हैं। हर प्रांत में अलग-अलग चीजों से अलग-अलग तरह के चाट बनते हैं। आलू चाट, मटर चाट, फलों की चाट, अंकुरित की चाट आदि। सबके स्वाद में साझा गुण एक ही है- उसका चटपटापन।

मटर चाट आमतौर पर सूखी मटर को उबाल कर बनती है। पश्चिम बंगाल, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे घुघनी भी कहते हैं। कई लोग इसे डबल रोटी के साथ खाते हैं, कई लोग केवल चाट या घुघनी के रूप में अकेले खाते हैं। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में कुल्चे के साथ मटर की चाट परोसी जाती है। मगर हरी मटर की चाट का स्वाद इससे बिल्कुल भिन्न होता है।

आजकल हरी मटर का मौसम है, तो फिर क्यों सूखी मटर की चाट बनाएं। बच्चों की जबान पर एक बार यह स्वाद चढ़ जाए, तो वे कुरकुरे, चिप्स वगैरह खाना भूल कर यही खाना पसंद करेंगे। हरी मटर की चाट अपने आप में संपूर्ण आहार है, इससे पोषण संबंधी जरूरतें पूरी हो जाती हैं। इसलिए कभी-कभार इसे नाश्ते या भोजन के तौर पर भी परोसा जा सकता है।

हरी मटर की चाट बनाना बहुत आसान है। इसे भी उसी तरह बनाते हैं, जैसे दूसरी चाट बनाते हैं। इसमें चटपटे मसालों का इस्तेमाल अवश्य होता है। इसलिए इमली की चटनी, हरी मिर्च और चाट मसाले की विशेष रूप से इसमें जरूरत पड़ती है। हरी मटर को ज्यादा देर पकाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। इसे पकाने के दो तरीके हैं। एक, मदर के दानों को पांच मिनट पानी में उबाल लें और छान कर अलग कर लें। दूसरा तरीका यह है कि कड़ाही में एक चम्मच तेल गरम करें और उसमें जीरे का तड़का लगा कर छौंक दें। पांच मिनट तक मध्यम आंच पर पका लें। दोनों में से जो तरीका आपको पसंद हो, वही अपनाएं।

अब चाट के लिए एक मध्यम आकार का प्याज बारीक काट लें। हरा धनिया, हरी मिर्चें, थोड़ा-सा अदरक काट लें और इन सारी चीजों को पकी हुई मटर में मिला लें। ऊपर से दो चम्मच इमली की चटनी, आधा चम्मच चाट मसाला डालें और अच्छी तरह मिलाएं। फिर बेसन की मोटी सेव, सोया कटोरी या नाचोज मसल कर डालें और अच्छी तरह मिला कर ऊपर से नीबू का रस डालें और परोसें। आप अपनी रुचि के अनुसार और भी चीजें डाल कर इसे और दिलचस्प बना सकते हैं। मसलन, कुछ आलू के तले हुए टुकड़े, कुछ उबली हुई हरी सब्जियां, जैसे ब्रोकली, गाजर वगैरह। टमाटर पसंद है, तो वह भी काट कर डाल सकते हैं।

पापड़ कोन

पड़ कोन भी एक प्रकार का चाट ही है। बस इसे परोसने का तरीका थोड़ा भिन्न है। पापड़ कोन आमतौर पर अंकुरित दालों से बनाया जाता है। इसलिए पहले से मूंग, चना और मूंगफली अंकुरित करके रखें। इसमें उबला हुआ राजमा भी पड़ता है, इसलिए मुट्ठी भर राजमा भी ले लें। इसके अलावा एक उबला हुआ आलू, एक मध्यम आकार का कटा हुआ प्याज, एक टमाटर, हरा धनिया, अदरक और हरी मिर्च बारीक काट कर अलग रख लें।

सबसे पहले अंकुरित दालों को उबलते हुए पानी में डालें, आधा चम्मच नमक भी इसके साथ ही डाल दें। आंच बंद करके पांच से सात मिनट ढंक कर छोड़ दें। फिर पानी निथारें और एक बार फिर से ठंडे पानी से धोकर पानी बिल्कुल निथार लें। इस तरह अंकुरित का कचकचापन बरकरार रहेगा। इसके साथ उबले हुए राजमा के दाने भी लेने हैं, सो मुट्ठी भर उन्हें भी इसी में डाल दें।

इसके बाद पापड़ के कोन तैयार करें। इसके लिए छोटे वाले मूंग पापड़ लें। तवा तेज गरम करें और उस पर एक एक करके पापड़ रखें और चाकू, चम्मच या फोर्क की मदद से दबा कर सेंकें और मोड़ते हुए कोन बना लें। जितने कोन बनाने हों, उन्हें पहले ही बना कर एक तरफ रख दें। अब उबले हुए अंकुरित और राजमा में उबला हुआ आलू काट कर और कटा हुआ प्याज, टमाटर, अदरक, धनिया, हरी मिर्च डालें और एक छोटा चम्मच चाट मसाला, आधा चम्मच लाल मिर्च पाउडर, आधा चम्मच धनिया पाउडर, एक बड़ा चम्मच इमली की चटनी डालें और सारी चीजों को अच्छी तरह मिलाएं।

अगर इसमें ब्रोकली, गोभी, खीरा वगैरह डालना चाहते हैं, तो उन्हें भी बारीक काट और हल्का उबाल कर डाल सकते हैं। इस तरह चाट में हरापन आ जाता है और खाने में भी स्वाद बढ़िया आता है। चाट को जिस भी रूप में चटपटा बनाएं वही अच्छा रहता है। अब इस चाट में मसल कर एक मुट्ठी नाचोज या मोटा बेसन का सेव या खट्टामीठा नमकीन डालें और पापड़ के कोन में भर कर परोसें।बच्चों को खट्टामीठा, तीखा और कुरकुरा स्वाद अच्छा लगता है, इसलिए पापड़ कोन उन्हें विशेष रूप से पसंद आएगा और इससे पोषण भी भरपूर मिलेगा। इसे बनाने में थोड़ी मशक्कत जरूर है, मगर छुट्टी वाले दिन इसे बनाया जा सकता है।