हमारी बॉडी में एक लिंफेटिक या लसिका सिस्टम होता है जो बॉडी में तरल पदार्थों को मैनेज करता है और बाहरी सुक्ष्म जीवों से निपटता है जो हमारी बॉडी को नुकसान पहुंचाते हैं। ये सिस्टम उन चोटों,सूजन और जलन की तकलीफों का भी ध्यान रखता है जो हमें होती रहती है। चोटों से मतलब सिर्फ बाहरी चोटों से नहीं है बल्कि अंदरूनी चोटों से भी हैं। अंदरूनी चोटों से मतलब है कि कोशिकाओं में होने वाली सूजन से है जिनका ख्याल ये लसीका सिस्टम रखता है।

ये सिस्टम हमारी बॉडी में जमा होने वाले अवशेषों और गंदगी को भी बॉडी से बाहर निकालता है। अगर ये अवशेष बॉडी से बाहर नहीं निकलते तो ये बॉडी में इकट्ठा होकर ज़हरीले बन जाएंगे। इन टॉक्सिन या अवशेष को बॉडी से बाहर निकालने के लिए लिंफेटिक सिस्टम बेहद जरूरी है।

इस सिस्टम को अच्छी कंडीशन में रखना बेहद जरूरी है ताकि आपकी बॉडी शुद्ध और हेल्दी रहे। सद्गुरु,जो एक विश्व प्रसिद्ध योगी,रहस्यवादी और दूरदर्शी मानवतावादी हैं उन्होंने बताया कि त्रिफला तीन जादुई फल है जिनका सेवन सही मात्रा में दूध या पानी के साथ मिलाकर किया जाए तो पूरे सिस्टम की अच्छे से सफाई हो जाएगी। गुरू के मुताबिक ये फल लिम्फेटिक सिस्टम को सक्रिय करता है और आपके अंदरूनी अंगों की बेहतरीन तरीके से सफाई करता है। आइए जानते हैं कि त्रिफला क्या है और ये कैसे हमारी बॉडी की अशुद्धियों को दूर करता है।

त्रिफला क्या है और कैसे ये बॉडी को शुद्ध करता है?

त्रिफला औषधीय गुणों से भरपूर एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका शाब्दिक अर्थ है “तीन फल। त्रिफला में अमलकी, बिभीतक और हरितकी के बीज निकाल कर 1:2:3 मात्रा में लिया जाता है। त्रिफला जादुई जड़ी बूटी है जो दिल की सेहत का ध्यान रखती है। ये डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करती है।

इस जड़ी बूटी से लसीका सिस्टम बेहतर तरीके से काम करता है और हमारे अंदरूनी अंगों की बेहतर तरीके से सफाई होती है। तीन से चार ग्राम त्रिफला चूर्ण का अगर रोज सेवन किया जाए तो कब्ज से राहत पाई जा सकती है और बॉडी में जमा टॉक्सिन को बाहर निकाला जा सकता है। इसका सेवन करने से बॉडी में जमा जहरीले अवशेष मल मूत्र के जरिए बॉडी से बाहर निकलते हैं। त्रिफला की तीनों जड़ीबूटियां आंतरिक सफाई करती हैं,बॉडी में गंदगी का जमाव कम करती हैं। इनका सेवन करने से पाचन दुरुस्त रहता है और मूत्र संबंधी समस्याओं से निजात मिलती है।