उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए सियासी जोड़-तोड़ शुरू हो गई है। बीजेपी कानपुर-बुंदेलखंड एरिया में बूथ सम्मेलन की अगुवाई करने जा रही है। प्रदेश में बीजेपी के लिए प्रचार की कमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संभाल रहे हैं। योगी से एक इंटरव्यू में लव जिहाद कानून को लेकर सवाल पूछे गए थे। इसके जवाब में उन्होंने कहा था, ‘ये कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है, क्योंकि ये हर धर्म पर लागू होता है। अब जो भी आरोपी इस कानून का उल्लंघन करेगा तो उसे दंडित किया जाएगा।’
‘इंडिया टीवी’ के साथ बातचीथ में योगी आदित्यनाथ से सवाल पूछा गया था, ‘अभी कुछ समय पहले आपने कहा था कि अब कोई जोधा, अकबर के साथ नहीं जाएगी। आपने ये सवाल किस आधार पर किया था? जब आप कहते हैं कि हमारे पुर्खे हिंदू हैं तो ये वापस हिंदू में ही तो जा रहे हैं। किसी मुस्लिम से हिंदू लड़की के विवाह पर ही आपत्ति क्यों?’
सीएम योगी ने मुस्कुराते हुए इसका जवाब दिया था, ‘आप अली से दूसरा कोई हिंदू नाम रख लीजिए। सवाल ये है कि जोधा ही अकबर के घर क्यों जाएगी? किसी सेल्यूकस की पुत्री भी तो चंद्रगुप्त के घर आएगी। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हो सकता है कि बिना नाम बदले जबरन किसी बालिका को झूठ बोलकर विवाह कर लिया जाए।’
इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से पूछा जाता है, ‘अगर इनका नाम एहसान अली न होकर भरत कुमार होता तो क्या ये ज्यादा भारतीय हो जाते तो क्या अभी कम भारतीय हैं?’ इसके जवाब में योगी आदित्यनाथ कहते हैं, ‘नहीं-नहीं, भारत के अंदर जन्म लेने वाला हर व्यक्ति भारतीय है, लेकिन उसे भारत का सम्मान करना होगा। उसे भारत के संविधान के अनुसार चलना होगा। शरीयत कानून के अनुसार नहीं चला जा सकता है।’
हिंदुत्व जबरन थोप रहे हैं? योगी आदित्यनाथ से एक इंटरव्यू में हिंदुत्व एजेंडे को लेकर सवाल पूछा गया था। उन्होंने कहा था, ‘हिंदू होना ही खुद में सेक्युलर होने की सबसे बड़ी गारंटी है। ये मुझे बहुत अच्छा लगता अगर यही सवाल आप बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी पूछते। आप ही बताइये इन देशों में सेक्युलरिज़्म कहां मर गई है? वहां हिंदू परिवार के साथ बहुत गलत व्यवहार किया जाता है और इस पर वहां की सरकारे क्यों एक्शन नहीं लेती हैं। हमारे देश में हिदुत्व को लेकर सवाल किया जाता है।’
ईद की मुबारकबाद क्यों नहीं देते? योगी आदित्यनाथ ने इस सवाल का जवाब दिया था, ‘अखिलेश जी को ये आरोप लगाने से पहले सोचना चाहिए था। अगर वो अखबार पढ़ते होते या न्यूज़ चैनल देख रहे होते तो उन्हें समझ में आ जाता कि मैंने कब बधाई नहीं दी। ऐसे आरोप का जवाब देना भी मैं ठीक नहीं समझता हूं क्योंकि इन आरोपों का कोई मतलब नहीं होता है।’