एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि जेनेटिक फैक्टर के अलावा, प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में विटामिन डी की कमी के कारण उनका बच्चा दिमागी रूप से प्रभावित हो सकता है। उनमें अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिस्ऑर्डर (एडीएचडी) होने का खतरा बढ़ सकता है। तुर्कु विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि विटामिन डी की कमी भी एडीएचडी के विकास में एक भूमिका निभा सकता है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि जिन प्रेग्नेंट महिलाओं में विटामिन डी की कमी होती है तो उनके बच्चे में अटेंशन डिस्ऑर्डर होने का खतरा भी अधिक रहता है।

रिसर्च के अनुसार, फिनलैंड में 1998 और 1999 के बीच पैदा हुए 1,067 बच्चों में एडीएचडी का निदान किया गया था। फिनलैंड में हुए एक रिसर्च में पाया गया है कि पूरे साल महिलाओं को रोजाना कम से कम 10 माइक्रोग्राम विटामिन-डी लेना चाहिए ताकि प्रेग्नेंसी के दौरान उन्हें किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े।

एडीएचडी क्या है? आमतौर पर अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिस्ऑर्डर (एडीएचडी) बच्चों और किशोरों को प्रभावित करता है और यह व्यस्क होने तक भी रह सकता है। एडीएचडी बच्चों में सबसे अधिक पाया जाने वाला मानसिक विकार है। एडीएचडी वाले बच्चे अतिसक्रिय (हाइपर एक्टिव) हो सकते हैं और अपने आप को नियंत्रित करने में असमर्थ हो सकते हैं। या उन्हें किसी चीज पर ध्यान देने में भी परेशानी हो
सकती है। ये व्यवहार स्कूल और घर के जीवन को भी प्रभावित कर सकते हैं।

एडीएचडी के लक्षण:

– इम्पल्सिव हो जाना
– टाइम मैनेजमेंट ना कर पाना
– किसी भी काम पर फोकस ना कर पाना
– एक साथ कई कामों को करने में परेशानी होना
– प्लानिंग ना कर पाना
– तुरंत चिड़चिड़ापन महसूस होने लगना
– मूड स्विंग्स होना
– तुरंत में गुस्सा आ जाना
– तनाव को मैनेज ना कर पाना
– अत्यधिक एक्टिव और रेस्टलेस हो जाना

एडीएचडी का कारण:
– प्रेग्नेंसी के दौरान खराब पोषण, संक्रमण, धूम्रपान और एल्कोहल का सेवन। ये चीजें शिशु के मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकते हैं।
– मस्तिष्क पर किसी प्रकार की चोट लगने से भी एडीएचडी की समस्या हो सकती है।