उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी में हुए संघर्ष में 8 लोगों की मौत हो गई थी। विपक्षी दल इसके लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। किसानों से मिलने के लिए बीकेयू प्रवक्ता राकेश टिकैत भी लखीमपुर-खीरी पहुंच चुके हैं। राकेश टिकैत ने इससे पहले कहा था, ‘देश के गृह राज्य मंत्री और यूपी के सीएम को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए। आरोपियों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज होना चाहिए।’
राकेश टिकैत कहते हैं, ‘यूपी में गुंडागर्दी की हद हो गई है। अब यहां की सरकार हटाकर राज्यपाल शासन लगना चाहिए तुरंत। सरकारी गुंडागर्दी कहीं देखनी है तो उत्तर प्रदेश में आप देख सकते हो। काले झंडे दिखाने का ये मतलब थोड़े है कि किसानों पर गाड़ी चढ़ा दोगे। ये चीन नहीं है कि विरोध करने पर आप ट्रक और बुलडोजर चढ़ा दोगे। 4 अन्य लोगों की भी गाड़ी पलटने से मौत हुई है। हम लोग वहां किसानों का हालचाल पूछेंगे।’
कैसी जांच होनी चाहिए? राकेश टिकैत कहते हैं, ‘ये पूरा षड्यंत्र था कोई हादसा नहीं था। 10 दिन पहले ही सीएम ने कह दिया था कि मैं किसानों को देखूंगा। चार लोगों का शव अभी भी लखीमपुर-खीरी में रखा हुआ है। इंसाफ जब तक हमें नहीं मिलता है तब तक हम उनका दाह संस्कार नहीं करेंगे। अगर पुलिस ने मुझे रोकने का प्रयास किया तो गांव वाले पथराव भी कर सकते हैं। अब सरकार चाहती है कि ब्राह्मणों और सिखों का झगड़ा करवा दो।’
राकेश टिकैत ने अपने ट्वीट में कहा, ‘लखीमपुर खीरी नरसंहार में दोषी अजय टेनी और उसका बेटा मोनू टेनी 8 हत्याओं का दोषी है, साज़िश में शामिल केन्द्रीय राज्यमंत्री को तुरंत बर्खास्त कर बेटे सहित गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए। इस घटना ने सरकार के क्रूर और अलोकतांत्रिक चेहरे को एक बार फिर उजागर कर दिया है। किसान आंदोलन को दबाने के लिए सरकार किस हद तक गिर सकती है, सरकार और सरकार में बैठे लोगों ने आज फिर बता दिया। लेकिन अपने हक के लिए किसान फिरंगियों के आगे नहीं झुके। सरकार किसान के धैर्य की परीक्षा न ले। किसान मर सकता है पर डरने वाला नहीं है।’
लखीमपुर-खीरी जा रहे राकेश टिकैत के काफिले को रोकने का प्रयास किया गया था। काफिले ने बैरियर तोड़ दिए और यहां प्रशासन से उनकी नोकझोंक भी हुई, लेकिन पुलिस उन्हें रोकने में असफल रही। बता दें, किसानों से मिलने के लिए लखीमपुर-खीरी जा रहीं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को हिरासत में ले लिया गया है। इसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भी हिरासत में ले लिया है। पहले प्रशासन ने अखिलेश यादव के घर के बाद ट्रक लगाकर उन्हें बाहर जाने से रोका था। लेकिन वह धरने पर बैठ गए थे, जिसके बाद ये कार्रवाई की गई थी।