लालू प्रसाद यादव की गिनती सियासत के मंझे खिलाड़ियों में होती है। चार दशक से भी अधिक समय से राजनीति में सक्रिय लालू ने एक लंबा सफर तय किया है। छात्रसंघ की राजनीति से सियासत की बांह थामने वाले लालू देश के सबसे बड़े सूबों में से एक बिहार के मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्री तक रहे। बिहार में विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट बढ़ने के साथ ही लालू यादव की सक्रियता भी बढ़ गई है।
अपने चुटीले अंदाज के लिए मशहूर लालू यादव जेल से ही जेडीयू और बीजेपी पर हमलावर हैं। उधर, बीजेपी भी सक्रिय हो गई है। बीजेपी नेता और बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी और केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद लगातार वर्चुअल रैली के माध्यम से लोगों को साधने में जुटे हैं। लालू यादव, सुशील मोदी और रविशंकर प्रसाद के बीच सियासी प्रतिद्वंदिता का इतिहास उनके सियासत में उतरने के साथ ही शुरू हो गया था।
बात आपातकाल से ठीक पहले की है, जब पटना विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के चुनाव कराये गये थे। इन चुनावों में लालू प्रसाद यादव अध्यक्ष पद पर विजयी हुए। इसी चुनाव में एबीवीपी की तरफ से सुशील कुमार मोदी ने महासचिव और रविशंकर प्रसाद ने सचिव के पद पर बाजी मारी। इसके ठीक बाद आपातकाल की घोषणा हुई और इन तीनों नेताओं को जेल जाना पड़ा।
आपातकाल खत्म हुआ और देश में आम चुनावों की घोषणा की गई, तब कांग्रेस को हराने के लिए सभी पार्टियों के जेपी के नाम से मशहूर जय प्रकाश नारायण की अगुवाई में गठित जनता पार्टी के बैनर के नीचे आ गए। इस दौरान ये तीनों युवा नेता जेपी के साथ काम करने लगे। हालांकि तब भी तीनों की आपस में खींचतान होती रहती थी।
सुशील मोदी-रविशंकर प्रसाद ने की लालू की शिकायत: लालू यादव की जीवनी ‘गोपालगंज टू रायसीना: माई पॉलिटिकल जर्नी’ में एक वाकये का जिक्र है। इसमें लिखा है, एबीवीपी कार्यकर्ता मुझसे खार खाए रहते थे, क्योंकि छात्रों के बीच मेरी लोकप्रियता थी। वे इसलिये भी चिढ़ते थे क्योंकि मैं जेपी के करीब था। एक बार रविशंकर प्रसाद, सुशील मोदी और एबीवीपी के कुछ कार्यकर्ताओं ने जेपी के पास जाकर शिकायत की और कहा कि लालू शराब पीते हैं और भारी मात्रा में पैसे जमा किये हैं।’ इसके बाद जेपी काफी ख़फा हो गए। उन्होंने लालू को तलब किय़ा और इस बारे में सवाल किया।
लालू बोले- मैं सिर्फ ताड़ी पीता हूं: बकौल जीवनी, लालू ने जवाब दिया कि वह ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं, इसलिए सिर्फ ताड़ी पीते हैं। यह वहाँ आम बात मानी जाती है, लेकिन शराब और पैसे के लेनदेन का आरोप बिल्कुल गलत है।
लालू लिखते हैं, ‘मैंने जेपी का ध्यान भटकाने और अपने करीबी को झटका देते हुए कहा जेपी से कहा- मैंने सुना है शिवानंद तिवारी गांजा पीते हैं। मैंने पैसा कमाने वाले आरोप को झूठा बताया और कहा कि एबीवीपी के सदस्यों ने मुझे बदनाम करने के लिए आपसे झूठ बोला है।’
इसके बाद जेपी ने कहा तुम एक युवा नेता हो। लोग तुम्हारी तरफ आशा भरी नजरों से देखते हैं। शराब और सिगरेट पीना तुम्हारे स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा नहीं है।’