बाबासाहेब अंबेडकर की जयंती पूरे देश में मनाई जाती है। विशेषकर वे लोग इस दिन को खास तरह से सेलिब्रेट करते हैं जिनके लिए अंबेडकर ने लड़ाई लड़ी थी जैसे- महिलाएं, दलित, आदिवासी और मजदूर। डॉ. बी. आर अंबेडकर जयंती को  उनके भारत के प्रति योगदान को याद रखने के लिए मनाया जाता है। उन्होंने भारतीय संविधान के पीछे मुख्य रूप से काम किया था। 1923 में, शिक्षा की आवश्यकता को फैलाने और निम्न-आय वर्ग की वित्तीय स्थिति को समृद्ध करने के लिए उनके द्वारा बहिश्त हितकारिणी सभा की स्थापना की गई थी।

कौन थे बी.आर. अम्बेडकर? बी.आर. अंबेडकर कई प्रतिभाओं के व्यक्ति थे। वे एक राजनीतिज्ञ, न्यायविद, अर्थशास्त्री और समाज सुधारक थे। इसके अलावा, अंबेडकर दलित बौद्ध आंदोलन के पीछे की ताकत भी थें। इसके अलावा, यह व्यक्ति उस समय भारतीय समाज में व्याप्त विभिन्न अन्याय से लड़ने के लिए भावुक थे।

अन्याय के खिलाफ इस लड़ाई के तहत, अम्बेडकर ने अछूतों के समर्थन में एक अभियान का नेतृत्व किया। वह स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री थे। इन सबसे ऊपर, अंबेडकर ने भारत के संविधान को बनाने में एक केंद्रीय भूमिका भी निभाई।

अम्बेडकर जयंती महत्व: डॉ. भीमराव अंबेडकर की टोपी में कई पंख थे। वह एक न्यायविद्, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। ‘भारतीय संविधान के पिता’ के रूप में जाने जाते हैं। अम्बेडकर ने गरीबों, दलितों और निचली जातियों के लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक अभियान चलाया। अंबेडकर जी खुद एक दलित थे। इस वजह से उन्हें बचपन से ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वह 1897 में एल्फिंस्टन हाई स्कूल में एकमात्र दलित छात्र थे।

अंबेडकर ने मुंबई विश्वविद्यालय, कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई की। उन्होंने भारत में दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और 14 अक्टूबर, 1956 को बौद्ध धर्म ग्रहण किया। अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर, 1956 को नई दिल्ली में हुआ, जहां उन्हें बौद्ध श्मशान दिलाया गया था। अंबेडकर को 1990 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।