उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को देखते हुए पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने छोटे दलों के साथ गोलबंदी शुरू कर दी है। अखिलेश ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह 2017 की भूल इस चुनाव में नहीं दोहराएगी और किसी बड़े दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने कहा था कि बड़े दल सिर्फ सीटें ज्यादा मांगते हैं, लेकिन इससे सिर्फ नुकसान ही होता है। एक इंटरव्यू में अखिलेश यादव से साल 2017 में मिली करारी हार के बारे में सवाल पूछा गया था।

वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा से अखिलेश यादव ने सवाल पूछा था, ‘आपने सड़कें बनवाई, लैपटॉप बांटे, लेकिन चुनाव तो हार गए?’ इसके जवाब में उन्होंने कहा था, ‘मैं चाहता था कि आप यही सवाल पूछें। आपके सवाल में ही हमारा जवाब छिपा हुआ है। क्योंकि जब मैं विकास की बात कर रहा था तो ये लोग कब्रिस्तान और श्मशान की बात कर रहे थे। ये लोग जाति की बात कर रहे थे कि यादव ने सबकुछ लूट लिया और कुर्मी तुम्हें कुछ नहीं मिला, पाल लोगों तुम्हारा छीन लिया, श्रीवास्तव तुम्हारा सबकुछ छीन लिया। हम ब्राह्मणों के खिलाफ हैं और ठाकुरों के खिलाफ हैं।’

अखिलेश यादव आगे कहते हैं, ‘बीजेपी के लोग ऐसा भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे। ये लोग हर चीज आधार से जोड़ रहे हैं। आपकी जमीन की रजिस्ट्री भी अब आधार से जुड़ने लग गई है। बैंक अकाउंट आधार से, मोबाइल, सिम सब आधार से जोड़ दिए हैं। हम तो कहते हैं कि आप लोग हमारी जाति को भी आधार से जोड़ दो और झगड़ा मत लगाइये कि कौन सी जाति कितनी है। इन लोगों की यही चीज हमें पसंद नहीं है कि ये समाज को जाति, धर्म पर विभाजित करने का प्रयास करते हैं। आप ही बताइये अगर हम इसके बाद चुनाव हारे तो क्या ठीक था?’

मोहम्मद अली जिन्ना वाले बयान पर सफाई: सपा प्रमुख ने पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की तुलना महात्मा गांधी, सरदार पटेल और जवाहरलाल नेहरू से करने के अपने बयान का बचाव करते हुए कहा था कि बीजेपी को इतिहास की किताबें फिर से पढ़नी चाहिए। उन्होंने कहा था, ‘मुझे संदर्भ की व्याख्या क्यों करनी चाहिए? बीजेपी को इतिहास की किताबें दोबारा पढ़नी चाहिए।’ इससे पहले यूपी सीएम योगी ने संवाददाताओं से चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा था, ‘मैंने हमेशा चुनाव लड़ा है और पार्टी जहां कहेगी, वहीं से लड़ूंगा।’