Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु में हरे कृष्ण मंदिर के स्वामित्व को लेकर इस्कॉन मुंबई और इस्कॉन बेंगलुरु के बीच कानूनी लड़ाई पर कड़ा रुख अपनाया। जस्टिस एमएम सुंदरेश , जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस पीके मिश्रा की बेंच ने मंदिर से संबंधित बार-बार चल रहे मुकदमों की ओर ध्यान दिलाते हुए टिप्पणी की, “भगवान कृष्ण इस सब के बारे में क्या सोच रहे होंगे।”

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट इस्कॉन मुंबई की तरफ से दायर की गई समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। इसमें सर्वोच्च न्यायालय के मई 2025 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई थी, जिसमें इस्कॉन बैंगलोर को एक स्वतंत्र कानूनी इकाई और बेंगलुरु में हरे कृष्ण मंदिर के मालिक के रूप में मान्यता दी गई थी।

16 मई के फैसले में कहा गया था कि इस्कॉन बैंगलोर, कर्नाटक सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1960 के तहत रजिस्टर्ड एक अलग कानूनी इकाई है, न कि इस्कॉन मुंबई की शाखा। इसके बाद न्यायालय ने निचली अदालत के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें इस्कॉन बैंगलोर की स्वतंत्र स्थिति और बेंगलुरु में हरे कृष्ण मंदिर के स्वामित्व को मान्यता दी गई थी, जबकि कर्नाटक हाई कोर्ट के 2011 के उस फैसले को खारिज कर दिया था जिसमें इस्कॉन मुंबई का पक्ष लिया गया था।

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इस्कॉन मुंबई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

इस फैसले से व्यथित होकर इस्कॉन मुंबई ने फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 16 मई के निर्णय की समीक्षा की मांग की। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने 8 नवंबर को समीक्षा याचिकाओं पर विचार करते हुए विभाजित फैसला सुनाया। जस्टिस मसीह ने जहां समीक्षा याचिकाओं को खारिज कर दिया, वहीं न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने उन्हें इजाजत दे दी। इस मतभेद के कारण यह मामला सीजेआई के सामने रखा गया। उन्होंने मामले की जांच के लिए तीन जजों की नई पीठ का गठन किया।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

3 दिसंबर को मामले की सुनवाई के दौरान इस्कॉन मुंबई की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि कई न्यायिक स्वीकारोक्ति हैं जिन पर 16 मई के फैसले में विचार नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि इस्कॉन मुंबई वास्तव में मूल संस्था है और इस्कॉन बैंगलोर केवल उसकी सहायक संस्था है, इसलिए वह विवादित मंदिर पर स्वामित्व का दावा नहीं कर सकती। पीठ ने दलीलों पर गौर करने के बाद कहा, “हम इसकी योग्यता और समीक्षा के दायरे दोनों पर सुनवाई करेंगे।” इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। नोटिस जारी करते हुए, पीठ ने इस्कॉन मुंबई के पक्ष में कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया।

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