गुजरात के पूर्व IAS अधिकारी को पांच साल जेल की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने उनको मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दोषी ठहराया है। भुज के पूर्व ज़िला कलेक्टर प्रदीप निरंकारनाथ शर्मा को धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act Cases) के दो मामलों में दोषी ठहराया गया है। अहमदाबाद की एक स्पेशल कोर्ट हाल ही में यह फ़ैसला सुनाया है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 2010 से 2014 के बीच गुजरात में दर्ज कई पुलिस मामलों के आधार पर अपनी जांच शुरू की थी, जिनमें भ्रष्टाचार, आपराधिक षड्यंत्र और अनियमित भूमि आवंटन का आरोप लगाया गया था।
कच्छ के कलेक्टर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान शर्मा को कम मूल्य पर सरकारी भूमि का अवैध आवंटन करने का दोषी पाया गया, जिससे गुजरात सरकार को 1.20 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ और व्यक्तिगत वित्तीय लाभ प्राप्त किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले शर्मा की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने धन शोधन के आरोपों की वैधता को चुनौती दी थी। न्यायालय ने माना था कि धन शोधन तब तक एक सतत अपराध है, जब तक अवैध आय को वैध माना जाता है या वैध बताया जाता है।
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पीएमएलए कोर्ट ने शर्मा को पांच साल के कठोर कारावास और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माना अदा न करने पर उन्हें तीन महीने की साधारण कैद की सजा और भुगतनी होगी। अदालत ने ईडी द्वारा जांच के दौरान पहले ही कुर्क की गई 1.32 करोड़ रुपये की संपत्ति भी जब्त करने का आदेश दिया है।
भ्रष्टाचार के एक मामले में पूर्व में दी गई सजा के साथ-साथ सजा सुनाए जाने के उनके अनुरोध को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के रूप में शर्मा ने अपने आधिकारिक पद का घोर दुरुपयोग किया है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धन शोधन निरोधक कानून के तहत अपराधों के अलग-अलग उद्देश्य हैं और अपराधों की गंभीरता को देखते हुए अलग-अलग सजा दी जानी चाहिए।
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