गौतम गंभीर की कोचिंग में भारतीय टीम की टेस्ट क्रिकेट में हालत खराब है। भारतीय टीम 11 में से 7 टेस्ट हार गई है। केवल 3 जीती है और 1 मैच ड्रॉ रहा है। भारतीय टीम घरेलू सरजमीं पर क्लीन स्वीप तक झेल चुकी है। रविचंद्रन अश्विन,रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे खिलाड़ी संन्यास ले चुके हैं। ऐसे में भारतीय टीम बदलाव के दौर में भी है,लेकिन हार का पैटर्न टीम कॉम्बिनेशन में दिक्कत की ओर संकेत देता है।

भारतीय टीम का थिंक टैंक कई बार आउट ऑफ द बॉक्स फैसले यानी कुछ हटके करने की कोशिश करता है,जो हार का कारण बनता है। ऐसा करने के प्रयास में खिलाड़ियों के रोल लेकर कंफ्यूजन पैदा होता है। ऐसा न्यूजीलैंड से क्लीन स्वीप झेलने से लेकर इंग्लैंड के खिलाफ लीड्स टेस्ट में हार तक में देखने को मिला है। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में प्लेइंग 11 का चयन काफी आश्चर्यजनक रह। कई बार ऐसा लगता है कि किसी खिलाड़ी का बेहतर ढ़ंग से इस्तेमाल नहीं हो रहा है।

न्यूजीलैंड सीरीज में क्लीन स्वीप

गौतम गंभीर की कोचिंग की शुरुआत बांग्लादेश को हराकर हुई। इसके बाद न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 0-3 से क्लीन स्वीप झेलना पड़ा। इस सीरीज में बेंगलुरु में भारत पहला टेस्ट हार गया। ओवरकास्ट कंडिशन में भारत 46 रन पर आउट हुआ। इसके बाद अचानक वॉशिंगटन सुंदर की भारतीय टीम में एंट्री हुई। रैंक टर्नर भारत को ही भारी पड़ गया। 2-0 से पिछड़ने के बाद मुंबई में भी रैंक टर्नर भारत पर ही भारी पड़ा।

क्यों चुना रैंक टर्नर

यह बात समझ से परे है कि 1 हार के बाद ऐसा क्या हुआ कि रैंक टर्नर देने कि जरूरत पड़ गई जब साल की शुरुआत में स्पोर्टिंग विकेट पर इंग्लैंड को कम अनुभवी टीम ने हरा दिया। अब स्पिन खेलने में भारतीय बल्लेबाजों को भी दिक्कत होती है यह बात कौन नहीं जानता? फिर रैंक टर्नर चुनने और रविचंद्रन अश्विन के रहते सुंदर को टीम में अचानक शामिल करने का फैसला समझ के परे था। शायद यह फैसला गेंदबाजी में विकल्प और बल्लेबाजी में गहराई के लिए किया गया।

ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गजब प्लेइंग 11 चुना

ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भारत पर्थ टेस्ट जीता था। इस मैच में जसप्रीत बुमराह कप्तान थे। रविंद्र जडेजा की जगह वॉशिंगटन सुंदर को चुनने का चौंकाने वाला फैसला लिया गया। यह फैसला बल्लेबाजी को मजबूत करने के लिए लिया गया। इस टेस्ट मैच में बुमराह और तेज गेंदबाजों ने मोर्चा संभाल लिया। पिंक बॉल टेस्ट में अश्विन को चुना गया। गाबा में रविंद्र जडेजा की वापसी हुई। उन्होंने 77 रन की पारी खेली और स्पिन गेंदबाजी को लेकर म्यूजिकल चेयर बंद हुआ। अश्विन ने संन्यास ले लिया।

बल्लेबाजी में गहराई के लिए बुमराह पर पड़ा भार

ऑस्ट्रेलिया में भारत की बल्लेबाजी नहीं चल रही थी। ऐसे में बल्लेबाजी में गहराई के लिए तेज गेंदबाजी से कंप्रोमाइज किया गया। नंबर 9 पर वॉशिंगटन सुंदर को मौका दिया गया। उन्होंने अर्धशतक जड़ा। शतक जड़ने वाले नितीश कुमार रेड्डी के साथ मिलकर 369 रन तक पहुंचाया। लेकिन गेंदबाजी कमजोर होने से जसप्रीत बुमराह का वर्कलोड बढ़ा। बल्लेबाजी में गहराई के लिए पूरे दौरे पर बुमराह का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल हुआ।

ऑलराउंडर के रोल को लेकर असमंजस की स्थिति

सिडनी टेस्ट में बुमराह की पीठ में फिर से दिक्कत उभर आई। अब अंजाम सामने हैं। बुमराह का सीमित इस्तेमाल हो सकता है। इंग्लैंड दौरे पर वह सिर्फ 3 मैच ही खेलेंगे। इंग्लैंड दौरे पर नई नवेली टीम गई है। लीड्स में शुभमन गिल की कप्तानी में भारतीय टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया। गेंदबाजी और फील्डिंग अच्छी रही होती तो जीत मिल सकती थी। पहली बार ऐसा लगा कि सही प्लेइंग 11 चुनी गई है, लेकिन एक बार फिर ऑलराउंडर खिलाड़ी के रोल को लेकर असमंजस की स्थिति दिखी।

20 विकेट लेने से मैच जीतेंगे

शार्दुल ठाकुर गेंदबाजी ऑलराउंडर हैं, लेकिन लीड्स में जिस तरह से उनका गेंदबाजी में इस्तेमाल हुआ उसे देखकर लगा कि भारतीय टीम मैनेजमेंट ऑलराउंडर से बल्लेबाजी ज्यादा और गेंदबाजी सीमित चाहता है। लीड्स टेस्ट की दोनों पारियों टॉप-5 ने रन बनाए। पहली पारी में 41 रन पर 7 विकेट गिरे। दूसरी पारी में 31 रन पर 6 विकेट गिर गए। इसे देखते हुए कहीं ऐसा न हो कि फिर थिंक टैंक बल्लेबाजी में गहराई के बारे में सोचने लगे। बल्लेबाजी में गहराई पर्याप्त है। जरूरत है तो 20 विकेट लेने की। 20 विकेट लिए बगैर टेस्ट मैच नहीं जीता जा सकता।