फुटबॉल में अगर टैलेंट की बात आती है तो सबसे लोग ब्राजील का नाम लेते हैं। फुटबॉल में उसे ‘टैलेंट की फैक्ट्री’ कहा जाता है। महान पेले के बाद रिवाल्डो, रोनाल्डो, काका, रोनाल्डिन्हो, कार्लोस और नेमार जैसे खिलाड़ियों ने ब्राजील का नाम रोशन किया। उसी तरह क्रिकेट में सबसे ज्यादा टैलेंट भारत और पाकिस्तान में देखने को मिलता है। भारत को बल्लेबाजों की धरती कहा जाता है तो पाकिस्तान को गेंदबाजों की। पूर्व तेज गेंदबाज वसीम अकरम का भी मानना है कि पाकिस्तान ‘क्रिकेट का ब्राजील’ है।

वनडे में 502 विकेट लेने वाले अकरम ने कहा, ‘‘जब युवा क्रिकेटरों को बनाने की बात आती है तो पाकिस्तान क्रिकेट का ब्राजील है।’’उन्होंने यह बात अपने यूट्यूब चैनल पर कहा। इस दौरान अकरम ने ऑस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज डीन जोन्स का इंटरव्यू लिया। दूसरी ओर, जोंस ने कहा, ‘‘हम हमेशा ऑस्ट्रेलिया में कहते थे कि पाकिस्तान में इतनी प्रतिभा है, यह सिर्फ इस बात पर है कि आप उसका कैसे उपयोग करते हैं।’’

पाकिस्तान में एक से बढ़कर एक महान गेंदबाज हुए हैं। अब्दुल कादिर, इमरान खान, वसीम अकरम, सकलैन मुश्ताक, वकार यूनुस, शोएब अख्तर इस लिस्ट में सबसे आगे हैं। बेहतरीन क्रिकेटर होने के बावजूद पाकिस्तान के प्रदर्शन में निरंतरता नहीं रही। इस कारण उसकी आलोचन भी की जाती है। डीन जोन्स ने कहा, ‘‘वे अलग-अलग तकनीकों और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए अलग दृष्टिकोण लाते हैं।’’ जोन्स ने ऑस्ट्रेलिया के लिए 52 टेस्ट और 164 वनडे खेले हैं।

जोन्स पाकिस्तान सुपर लीग (PSL) में कराची किंग्स के कोच थे। उन्होंने पाकिस्तान क्रिकेट के लिए 1992 विश्व कप जीतने के बारे में कहा, ‘‘ 80 के दशक के अंत में पाकिस्तान में बदलाव शुरू हुआ। इमरान ने कप्तानी संभाली। पाकिस्तान ने मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड ( एमसीजी) में 1992 वर्ल्ड कप के फाइनल में इंग्लैंड की बखिया उधेड़ी थी। वह आश्चर्यजनक था।’’
अकरम ने खुलासा किया कि कई ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने यह सोचकर टिकट खरीदे थे कि घरेलू टीम फाइनल में जगह बना लेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बाद में वे पाकिस्तान का समर्थन कर रहे थे क्योंकि इंग्लैंड उनका विरोधी है।