युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) और कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav) एक समय मुख्य भारतीय स्पिनर होते थे। उनकी जोड़ी ‘कुलचा’ के नाम से विख्यात है। हालांकि, कुछ समय से दोनों टीम इंडिया की नियमित प्लेइंग इलेवन का हिस्सा नहीं हैं। अब तो ऐसा लगता है कि टीम में या तो कुल (कुलदीप) होंगे या चा (चहल)। इस मुद्दे पर वीरेंद्र सहवाग ने क्रिकबज से बातचीत में भारतीय टीम मैनेजमेंट को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि भारत में गेंदबाजों और बल्लेबाजों के लिए अलग-अलग मापदंड हैं।

एक ही मैच में कुलदीप और चहल के खेलने को लेकर पूछे गए सवाल पर सहवाग ने कहा, ‘ऐसा लग रहा है कि अब दोनों साथ में नहीं खेलेंगे। वे 2019 में आईसीसी वर्ल्ड कप में एक-साथ खेले थे।’ वर्ल्ड कप के दौरान बर्मिंघम में खेले गए मैच में कुलदीप और चहल ने 20 ओवर में 160 रन लुटाए थे। उसके बाद से वे साथ में नहीं खेले। हालांकि, दोनों का पुराना रिकॉर्ड काफी शानदार रहा है। क्या एक मैच में खराब खेलने से टीम इंडिया का धैर्य जवाब दे गया। इस सवाल के जवाब में सहवाग ने टीम मैनेजमेंट पर गेंदबाजों और बल्लेबाजों में फर्क करने का आरोप लगाया।

सहवाग ने कहा, ‘इसीलिए मैं बोलता हूं कि आप गेंदबाजों को एक मैच में आंक कर बाहर कर देते हैं। लेकिन आप बल्लेबाज को 4 मैच तक मौका देते हैं।’ सहवाग ने केएल राहुल का उदाहरण देते हुए कहा, ‘उनके मामले में आपने चार मैच तक इंतजार किया। चार मैच के बाद आपने उनको 5वें मैच में बाहर बैठाया। आप गेंदबाज को भी उतने मौके दें। हो सकता है कि मैच खराब हों। यदि यहीं बुमराह होते। बुमराह के अगर 4 मैच खराब होते तो क्या आप उन्हें बाहर बैठे देते।’

सहवाग ने कहा, ‘आप यही कहते कि नहीं, अच्छे या टॉप बॉलर हैं, वे कमबैक करेंगे। युजवेंद्र चहल आपके नंबर वन टी20 गेंदबाज हैं। विकेट चटकाते हैं, लेकिन जहां उनके 2-3 मैच खराब होते हैं आप उन्हें बाहर बैठा देते हैं। अगर आईसीसी रैंकिंग में टॉप बॉलर है और बैट्समैन टॉप रैंक पर है तो फिर उन दोनों में भेदभाव क्यों?’

सहवाग ने कहा, ‘गेंदबाज को आप 1-2 मैच के बाद बैठा देते हो, लेकिन बल्लेबाज को नहीं बैठाते। मुझे यह सिद्धांत समझ नहीं आता है? हां अगर आप गेंदबाज या गेंदबाजी जोड़ी के कारण पूरी एक सीरीज हार गए हों, तब तो बात समझ में आती है।’