21 साल और 32 दिन की उम्र में टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर विनोद कांबली ने दोहरा शतक जड़कर इतिहास रच दिया था। वह दोहरा शतक लगाने वाले भारत के पहले और दुनिया के तीसरे सबसे युवा बल्लेबाज बने। 1993 में इंग्लैंड के खिलाफ मुंबई में अपने घरेलू मैदान पर उन्होंने यह मुकाम हासिल किया था। करीब तीन दशक बाद भी उनका रिकॉर्ड बरकरार है। यह उनका एक मात्र रिकॉर्ड नहीं है।

साल 1994 में उसी वानखेड़े स्टेडियम में वह 14 पारियों में 1000 टेस्ट रन तक पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय क्रिकेटर बने। वह महान डॉन ब्रैडमैन को पीछे छोड़ने से सिर्फ एक पारी चूक गए। हालांकि, इसके बाद उन्होंने कुछ ही टेस्ट मैच खेले। उनका टेस्ट करियर एक साल बाद समाप्त ही हो गया। क्रिकेट प्रशंसकों के लिए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि 54 के औसत से रन और दो दोहरे शतक लगाने वाले बल्लेबाज ने केवल 17 टेस्ट ही खेले। इसका सबसे बड़ा कारण अनुशासनहीनता था।

मिड-डे के अनुसार अब दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के बचपन का दोस्त आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। बीसीसीआई से हर माह 30,000 रुपये पेंशन कांबली का एक मात्र आय का जरिया है। वह मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन में काम पाने के लिए अपनी लाइफ स्टाइल में भी बदलाव लाने के लिए तैयार हैं। कभी 10 पेग पीने के बाद भी अगले दिन शतक बनाने वाला बाएं हाथ का यह खिलाड़ी अब शराब छोड़ने के लिए भी तैयार है।

शराब छोड़ने की बात को लेकर कांबली ने कहा, “ऐसे नियम और कानून हैं, जिनका पालन सभी को करना होता है। अगर ऐसे कोई नियम हैं, जो आपको कुछ चीजें करने की अनुमति नहीं देते हैं, तो सभी को उनका पालन करना चाहिए। अगर ऐसा करने को कहा गया तो मैं पीना तुरंत बंद कर दूंगा … कोई बात नहीं! कौन ऐसा नहीं करता।” उन्होंने यह भी कहा कि वह सोशल ड्रिंकर हैं।

कांबली ने बताया कि उन्होंने एक बार रणजी मैच से पहले रात में खूब दारु पी थी। इसके कारण टीम के कोच बलविंदर सिंह संधू चिंतित हो गए थे कि वे सुबह समय पर उठ पाएंगे भी या नहीं? विनोद ने अगले दिन शतक जड़ दिया था। उन्होंने यह किस्सा बताते हुए कहा, “हमारे कोच बलविंदर सिंह संधू चिंतित थे कि क्या मैं समय पर जागूंगा। मैंने जागा और शतक भी जड़ा।” वह स्कूल क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर के साथ रिकॉर्ड साझेदारी करके पहली बार सुर्खियों में आए थे।