प्रत्यूष राज

इस साल की शुरुआत में रविंद्र जडेजा ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर तिलक वर्मा के साथ एक तस्वीर पोस्ट की थी। उसका उन्होंने कैप्शन लिखा था, भारत के भविष्य के साथ चिल करते हुए। तिलक वर्मा ने मुंबई इंडियंस के साथ एक प्रभावशाली आईपीएल शुरुआत की। तिलक वर्मा ने आईपीएल में अपने पहले सीजन में 131.02 के स्ट्राइक रेट से 397 रन बनाए और 2017 में ऋषभ पंत के 366 रनों के रिकॉर्ड को तोड़ दिया।

यह आईपीएल के एक सीजन में किसी किशोर द्वारा सबसे अधिक है। तिलक वर्मा ने सुनील गावस्कर और रोहित शर्मा को भी प्रभावित किया है। दोनों दिग्गजों का कहना है कि तिलक वर्मा भारत के लिए ‘ऑल-फॉर्मेट बल्लेबाज’ हो सकते हैं। सुनील गावस्कर को जिस चीज ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया वह उनका स्वभाव था।

रविवार 2 अप्रैल 2023 को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आरसीबी) के खिलाफ 46 गेंद में 84 रन की तूफानी पारी खेलने के बाद तिलक वर्मा के बचपन के कोच सलाम बयाश को लगता है कि उनके शिष्य को इस फॉर्म को जारी रखना चाहिए, क्योंकि यह उन्हें भारत के लिए खेलने के उनके सपने के करीब ले जाएगा।

यह कैसे शुरू हुआ?

सलाम बयाश ने एक शाम अपने दोस्तों के साथ टेनिस क्रिकेट खेलते हुए बाएं हाथ के बल्लेबाज को देखा और उसकी बल्लेबाजी की शैली से हैरान रह गए। वह और अधिक जानकारी हासिल करने के लिए तिलक वर्मा (तब तिलक सिर्फ 11 साल के थे) के पास पहुंचे।

सलाम बयाश ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, मैंने पहली बार तिलक को बरकस मैदान में देखा। वह वहां अपने दोस्तों के साथ टेनिस बॉल क्रिकेट खेल रहा था। मैंने उससे पूछा कि वह कहां ट्रेनिंग करता है। उसने कहा कि वह उसी मैदान पर ही खेलता है। तभी मैंने उसके पिता को फोन किया।’

सलाम बयाश ने कहा, ‘मैंने उनसे तिलक को अकादमी में दाखिला कराने का अनुरोध किया, क्योंकि उसमें क्षमता थी। तिलक के पिता नम्बूरी नागराजू पेशे से एक बिजली मिस्त्री थे। अपनी आर्थिक स्थिति के कारण वह तिलक को क्रिकेट खेलने के लिए अकादमी भेजने को लेकर अनिच्छुक थे।

सलाम बयाश ने कहा, ‘तिलक के पिता आर्थिक तंगी के कारण शुरू में सहमत नहीं हुए। उनका घर मेरे घर से दो किलोमीटर दूर था। मैंने उनसे कहा कि मैं तिलक के ट्रांसपोर्ट की जिम्मेदारी लूंगा। आपको उसे रोज लेने और छोड़ने की जरूरत नहीं है। मैं उसकी फीस भी माफ कर दूंगा, तब वह मान गए।’

बाइक की सवारी

जिस क्रिकेट अकादमी में तिलक वर्मा ने प्रशिक्षण लिया वह हैदराबाद के पुराने शहर स्थित उनके घर चंद्रायन गुट्टा से लगभग 40 किलोमीटर दूर लिंगमपल्ली में थी। लेकिन तिलक वर्मा ने शायद ही कभी एक दिन का अभ्यास छोड़ा हो, क्योंकि उनके कोच सलाम बयाश उन्हें अपनी बाइक पर हर दिन लाते ले जाते थे।

नम्बूरी नागराजू कहते हैं, ‘अगर सलाम बयाश नहीं होते तो तिलक को वह कभी इतनी दूर नहीं भेजते। कोच ने कहा कि मुझ पर विश्वास करो और उसे मेरे हाथों में छोड़ दो। उन्होंने हमसे कहा कि हम उन पर पूरा भरोसा रखें। आपका बच्चा टैलेंटेड है। उसे मोरल सपोर्ट दें। यही बात बयाश सर ने हमें बताई।’

कोच की बाइक पर ही सो जाता था तिलक वर्मा

उसके बाद से हर दिन सलाम बयाश तिलक वर्मा को सुबह 5 बजे उठाकर अकादमी ले जाते थे। कभी-कभी वह बाइक पर ही सो जाता था। सलाम बयाश हंसते हुए कहते हैं, ‘बच्चा था, कभी कभी बैठे सो जाता था। जब बाइक पर उसकी पकड़ी ढीली होती तो मैं समझ जाता था कि वह सो रहा है। मैं बाइक रोक देता और उसे जगा देता। उसे पानी से अपना चेहरा धोने के लिए कहता। यह कुछ महीनों तक चलता रहा।’

सलाम बयाश ने बताया, ‘एक साल बाद, मैंने उसके पिता से अकादमी के करीब रहने का अनुरोध किया, ताकि वह इस थकाऊ यात्रा से बच सके। उनके पिता को अकादमी के पास नौकरी मिल गई और मुझे तब तिलक के गिरने के डर से बाइक चलाने का डर नहीं था।’

आर्थिक बाधाएं

अकादमी के करीब रहना एक बात थी, लेकिन तिलक के पास क्रिकेट के पर्याप्त किट नहीं थी। तिलक ने उधार के बैट से ही अपना पहला शतक लगाया था। एक अच्छे बल्ले की कीमत 4-5 हजार रुपए होती है, लेकिन उनके पिता के पास उन्हें एक नया बैट दिलाने के लिए पैसे नहीं थे।

कोच ने एक समाधान निकाला। सलाम बयाश कहते हैं, ‘उन्हें बहुत सारी वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा। उनके लिए बल्ला या कोई अन्य क्रिकेट का सामान खरीदना मुश्किल था। इसे देखने के बाद मैं उसके लिए टारगेट सेट करता था। आगामी टूर्नामेंट में अच्छा करो, कुछ शतक बनाओ, सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज का पुरस्कार जीतो और मैं तुम्हें एक बल्ला दिलवाऊंगा।’

चार साल बाद तिलक वर्मा का चयन विजय मर्चेंट ट्रॉफी के लिए हुआ। तिलक वर्मा ने उसमें हैदराबाद के लिए 900 से अधिक रन बनाए। इसके बाद उन्हें हैदराबाद के रणजी ट्रॉफी संभावितों के लिए चुना गया। एक साल बाद 2019 में तिलक ने हैदराबाद के लिए रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया।

गुरु-शिष्य परंपरा

आईपीएल 2022 में वानखेड़े में चेन्नई सुपर किंग्स के खिलाफ मैच जीतने के बाद मुंबई इंडियंस के इस ऑलराउंडर ने हाथ जोड़कर जश्न मनाया। तिलक का इशारा अपने कोच की ओर था, जो उन्हें स्टैंड से खेलते हुए देख रहे थे। सलाम बयाश ने उस जश्न के पीछे का रहस्य बताया।

सलाम बयाश ने कहा, ‘उस मैच से पहले वह अपना विकेट फेंक रहा था। मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया, इसलिए मैं वह मैच देख रहा था, उसने काम पूरा कर लिया। वह इशारा मेरी ओर था। वह पूछ रहा था कि क्या अब मैं खेल खत्म कर सकता हूं।’