क्या कभी कोई क्रिकेटर मैदान पर नींद की गोलियां खाकर खेलने के लिए उतर सकता है? यह सवाल सुनने में बड़ा अजीब लग रहा है, लेकिन क्रिकेट वर्ल्ड कप के एक मैच में ऐसा हो चुका है। वह मैच 2011 आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेला गया था। उस मैच में दक्षिण अफ्रीकी विकेटकीपर मोर्ने वान विक (Morne van Wyk) नींद की गोलियां खाकर मैदान पर खेलने उतरे थे। यह राज उन्हीं की टीम के साथ जेपी डुमिनी ने खोला है।
वर्ल्ड कप 2011 का वह मैच नागपुर (Nagpur) के विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम (Vidarbha Cricket Association Stadium) में खेला गया था। यह नींद की गोलियों से हुए नशे का ही असर था कि मोर्ने वान विक ने उस मैच में तीन मैच टपकाए थे। डुमिनी ने ओकट्रीस्पोर्ट (oaktreesport) को दिए ऑनलाइन इंटरव्यू में बताया, ‘वह भारत के खिलाफ मैच था। वर्ल्ड कप का मैच होने के कारण दोनों ही टीमों के कड़ा मुकाबला था। जहां तक मुझे याद है कि मोर्ने वान विक एंटीहिस्टामिन (Antihistamine) की दवाएं लेते थे, लेकिन नींद की गोलियां भी अपने पास रखते थे। उनसे गलती से एंटीहिस्टामिन और नींद की गोलियां आपस में मिल गईं।’
साथी क्रिकेटर जीन पॉल डुमिनी ने ही खोला राज
जीन पॉल डुमिनी (Jean Paul Duminy) ने बताया, ‘मोर्ने वान विक ने मैच शुरू होने के ठीक पहले नींद की गोलियाां खा लीं। यह बिल्कुल सही है। मैं उन लोगों में हूं, जिनको यह कहानी मालूम है। मैं बल्लेबाज का नाम तो नहीं बता पाऊंगा लेकिन मुझे याद है कि गेंद उनके बगल से निकली, लेकिन उन्होंने बहुत लेट रिएक्शन दिया, जिससे कैच छूट गया। ऐसा एक बार नहीं बल्कि तीन-तीन बार हुआ। हम सब अचंभित थे कि मोर्ने वान विक क्या कर रहे हैं।’ डुमिनी ने बताया, ‘मैदान पर वह नशे में दिख रहे थे। मोर्ने वान विक को भी बात में शायद इस बात का अहसास हुआ कि उन्होंने एंटीहिस्टामिन की जगह नींद की गोलियां खा ली हैं।’
दक्षिण अफ्रीका ने 3 विकेट से जीता था मुकाबला
उस मैच में भारत ने टॉस जीतकर बल्लेबाजी चुनी थी। हालांकि, महेंद्र सिंह धोनी का यह फैसला बहुत सही साबित नहीं हुआ और पूरी टीम 48.4 ओवर में 296 रन पर पवेलियन लौट गई। टीम इंडिया की यह हालत तब हुई थी, जब वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर के बीच पहले विकेट के लिए 17.4 ओवर में 142 रन की साझेदारी हुई थी। उस मैच में सहवाग 12 चौके की मदद से 66 गेंद में 73 रन बनाए थे। सचिन ने 8 चौके और 3 छक्के की मदद से 101 गेंद में 101 रन बनाए थे।
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गौतम गंभीर ने 7 चौके की मदद से 75 गेंद में 69 रन बनाए थे। इन तीनों के अलावा युवराज सिंह (12 रन, 9 गेंद) और महेंद्र सिंह धोनी (नाबाद 12 रन, 21 गेंद) ही दहाई का आंकड़ा छू पाए थे। टीम इंडिया के 4 बल्लेबाज (यूसुफ पठान, जहीर खान, आशीष नेहरा और मुनाफ पटेल) खाता भी नहीं खोल पाए थे। विराट कोहली एक रन के स्कोर पर पवेलियन लौटे थे।
दक्षिण अफ्रीका की ओर से डेल स्टेन ने 50 रन देकर 5 विकेट लिए थे। लक्ष्य का पीछा करने उतरी दक्षिण अफ्रीका की टीम ने 49.4 ओवर में 7 विकेट पर 300 रन बनाकर मैच जीत लिया था। दक्षिण अफ्रीका की ओर से हाशिम अमला, जैक्स कैलिस और एबी डिविलियर्स ने अर्धशतक लगाए थे। जेपी डुमिनी, फॉफ डुप्लेसी और जोहान बोथा ने क्रमशः 23, 25 और 23 रन बनाए थे। भारतीय टीम उस वर्ल्ड कप में सिर्फ इसी मैच में हारी थी।