Yuvraj Singh Retirement – क्रिकेट के मैदान पर एक नई परिभाषा गढ़ने वाले युवराज सिंह ने सोमवार यानी की 10 जून को इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है। 18 साल के लंबे करियर में युवराज सिंह ने टीम इंडिया के लिए कई ऐतिहासिक मुकाबले खेले और टीम को जीत दिलाई। एक खिलाड़ी का सपना होता है कि वो अपने देश कौ विश्वविजेता का खिताब दिलाए। इस सपने को भी युवराज ने हकीकत बनाया और दो बार विश्वचैंपियन टीम का वो हिस्सा भी रहे। 2011 के वर्ल्ड कप में तो उन्हें मैन ऑफ द सीरीज के खिताब से नवाजा भी गया। करीब दो दशक के इस लंबे करियर में युवराज ने वो सबकुछ हासिल किया जिसे पाना एक क्रिकेटर का ख्वाब होता है लेकिन संन्यास की घोषणा से पहले युवराज ने उस बात का जिक्र किया जिसे वो चाहते हुए भी पा नहीं सके।
सन 2000 में अपने करियर का आगाज करने वाले युवराज सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया कि विश्वकप जीतना उनका सपना था। उन्होंने कहा कि अपने करियर में उन्होंने कभी हार नहीं मानी और खेल के साथ उनका लव-हेट का रिश्ता भी रहा। हालांकि संन्यास के सवाल पर युवराज ने कहा कि उन्होंने क्रिकेट को अलविदा करने का मन 1 साल पहले ही बना लिया था। युवी ने बताया कि वो सोच चुके थे कि वो इस बार अपना आखिरी आईपीएल मुकाबला खेलेंगे और अपना शानदार प्रदर्शन करेंगे। उन्हें मुबंई इंडियंस से मौका भी मिला लेकिन वो कुछ शुरुआती मुकाबले ही खेल सके। फाइनल में मुंबई ने जीत भी हासिल की लेकिन युवी उस टीम का हिस्सा नहीं थे।
कैंसर पीड़ितों की मदद करेंगे युवीः युवराज ने इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि वो चाहते थे कि वो अपने कुछ बेहतरीन शॉट्स इस मुकाबले में दिखाएं लेकिन ऐसा नहीं हो सका। हालांकि युवराज ने ये भी कहा कि हर किसी को सब कुछ नहीं मिलता है। टीम इंडिया के लिए 304 वनडे और 40 टेस्ट मैच खेलने वाले युवराज सिंह ने बताया कि संन्यास के बाद अब वो कैंसर पीड़ितों की मदद करना चाहते हैं।