भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने बुधवार 14 सितंबर 2022 को इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, क्रिकेट प्रशासकों के लिए, कूलिंग-ऑफ पीरियड बर्फ के पहाड़ की तरह था, जिसे पार करना उनके लिए काफी मुश्किल था। इसलिए वे बस मौसम के बदलने का इंतजार कर रहे थे। साल 2016, 2018 और अब 2022 से ऐसा ही हो रहा है।
कूलिंग ऑफ पीरियड का अर्थ है कि बीसीसीआई या राज्य क्रिकेट बोर्ड में पद पर रहने वाले कोई भी व्यक्ति अपना कार्यकाल पूरा होने के बाद दोबारा किसी पद पर तब तक नहीं बैठ सकता, जब तक कि वह तीन साल का ब्रेक नहीं ले ले। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 14 सितंबर 2022 को दिए अपने आदेश में बीसीसीआई को अपने संविधान में संशोधन करने की मंजूरी दे दी।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद बीसीसीआई के किसी भी सदस्य के लिए लगातार दो कार्यकाल तक अपने पद पर बने रहना संभव होगा। यही वजह है कि सौरव गांगुली बीसीसीआई अध्यक्ष और जय शाह बीसीसीआई सचिव के पद पर अगले तीन साल तक बने रह सकते हैं।
बीसीसीआई के मौजूदा संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय या राज्य बोर्ड में किसी पद पर बैठे किसी भी व्यक्ति को दोबारा कोई पद ग्रहण करने से पहले 3 साल के ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ से गुजरना होता था। सुप्रीम कोर्ट ने क्रिकेट प्रशासकों पर हितों के टकराव के आरोप लगने और 2013 के आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग स्कैंडल के बाद लोढ़ा समिति की अनुशंसाओं के आधार पर ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ वाला फैसला दिया था। हालांकि, तब से ही बीसीसीआई ने बार-बार इस क्लॉज का विरोध किया।
ताजा आदेश के बारे में पूछे जाने जस्टिस लोढ़ा ने कहा, ‘सर्वोच्च न्यायालय ने पाया होगा कि पहले के आदेश मौलिक रूप से गलत थे। सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई, 2016 को अपना पहला आदेश दिया था। हमारी रिपोर्ट तब ही सही साबित हो गई थी। कोर्ट ने हमारी अनुशंसाओं को मानकर कूलिंग ऑफ पीरियड की शर्त को औपचारिक रूप दिया था। ऐसे में बात यह नहीं थी कि हमारी रिपोर्ट खराब थी। पहली सुनवाई में ही हमारी पूरी रिपोर्ट मंजूरी हो गई। बाद में नौ अगस्त 2018 के आदेश में इसमें बदलाव किया गया। अब शायद उन्हें लगता है कि इसमें फिर बदलाव करना ठीक है।’
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, ‘यदि आप कांटिन्यूटी के एलिमेंट को लागू करना चाहते हैं, तो 12 साल भी क्यों? अगर कांटिन्यूटी सर्वोपरि है और यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, तो 6, 9 या 12 साल ही क्यों? फिर कूलिंग-ऑफ को क्यों लागू करें?’