नीरज चोपड़ा ने इंडियन एक्सप्रेस के आइडिया एक्सचेंज (Idea Exchange) में बताया कि आईसीसी वनडे वर्ल्ड कप 2023 के फाइनल में टीम इंडिया से कहां चूक हो गई। उन्होंने धरने पर बैठी महिला पहलवानों का क्यों साथ दिया। यही नहीं, ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट ने यह भी बताया कि युवाओं को क्यों सफलता के लिए शॉर्टकट के बजाय धैर्य और प्रॉसेस का विकल्प चुनना चाहिए।

सवाल: आप क्रिकेट विश्व कप फाइनल में थे। एक प्रशंसक के रूप में कैसा अनुभव रहा? साथ ही, बड़े मैच विजेता के रूप में ऑस्ट्रेलिया पर आपके विचार।

नीरज चोपड़ा: यह पहली बार था जब मैंने कोई क्रिकेट मैच पूरा देखा। जब मैं फ्लाइट में था तब तक भारत तीन विकेट खो चुका था। जब मैं स्टेडियम पहुंचा तो विराट (कोहली) भाई और केएल राहुल बल्लेबाजी कर रहे थे। कुछ तकनीकी बातें हैं जो मुझे समझ नहीं आतीं। दिन में बल्लेबाजी करना बहुत आसान नहीं था। मुझे लगता है कि शाम के समय बैटिंग आसान हो गई, लेकिन हमारे लोगों ने कोशिश की।

नीरज चोपड़ा: कभी-कभी हमारा दिन नहीं होता, लेकिन सच कहूं तो सभी के लिए टूर्नामेंट शानदार रहा। हो सकता है ऑस्ट्रेलियाई टीम ने कहीं न कहीं मानसिक रूप से शुरुआत में बढ़त बनाए रखी हो। जब उन्होंने गेंदबाजी की तो मैंने पाया कि वे मानिसक रूप से बहुत मजबूत थे। अंत में उन्होंने इसे पूरी तरह से पलट दिया। वे अपने खेल को लेकर आश्वस्त थे।

सवाल: जब महिला पहलवान विरोध कर रही थीं तब अधिकांश सक्रिय एथलीट्स ने उनका समर्थन नहीं किया, लेकिन आप उन कुछ एथलीट्स में से थे, जिन्होंने अपनी राय रखी। अन्य एथलीट्स का समर्थन करना आपके लिए कितना जरूरी है?

नीरज चोपड़ा: जब एथलीट पदक जीतते हैं तब हर कोई उनके बारे में जानता है, लेकिन जब ऐसा कुछ होता है तब भी एथलीट्स की आवाज सुनी जानी चाहिए। इसे (पहलवानों का विरोध) इस स्तर तक नहीं पहुंचना चाहिए था। शुरुआत में ही कोई समाधान निकाला जाना चाहिए था ताकि एथलीट ट्रेनिंग जारी रख पाएं। मुझे लगा कि चूंकि यह एथलीट्स से जुड़ा मुद्दा है, इसलिए मुझे कुछ कहने की जरूरत है।

नीरज चोपड़ा: मुझे नहीं पता कि मेरी राय व्यक्त करने से कोई फर्क पड़ा या नहीं। भविष्य में भी, अगर यह खिलाड़ियों से संबंधित है और मुझे लगता है कि कुछ कहने की जरूरत है तो मैं बोलने की कोशिश करूंगा। हमारे खेल इतिहास में ऐसा नहीं होना चाहिए था। उम्मीद है कि भविष्य में ऐसी चीजें नहीं होंगी। अधिकांश एथलीट्स ने अपने जीवन के दौरान केवल ट्रेनिंग ही की है इसलिए वे नहीं जानते कि इन चीजों को कैसे संभालना है।