टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) को भारतीय सेना से काफी लगाव है और वह अपने फौजी दोस्तों के लिए कुछ भी करने के तैयार रहते हैं। धोनी को शराब पसंद नहीं है। गंध आने पर वह कमरा तक बदल देते हैं। टीम की जीत के बाद शैंपेन से सेलिब्रेशन के दौरान वह दूर रहना पसंद करते, लेकिन जब वह अपनी फौजी दोस्तों से मिलते हैं तो शराब पीते हैं। यही नहीं धोनी से कोई मैच देखने के लिए टिकट की व्यवस्था करने को कहे तो उसे निराशा ही हाथ लगेगी अगर वह फौज से नहीं है। भरत सुंदरसन ने अपनी किताब ‘द धोनी टच’ (The Dhoni Touch) में कैप्टन कूल के फौज से लगाव के बारे में विस्तार से बताया है।

धोनी और शराब

भरत सुंदरसन अपनी किताब में बताते हैं कि महेंद्र सिंह धोनी को शराब पसंद नहीं है और इसका विरोध करने से भी हिचकिचाते नहीं हैं। शैंपेन और बीयर की गंध उन्हें पसंद नहीं है। अगर कमरे इसकी महक या गंध आ जाए तो वह उसे बदल देते हैं। यहां तक कि टीम जीत का जश्न सैंपेन से मनाती है तो भी धोनी दूर ही रहते हैं। माही खुद कहते हैं कि वह कड़वे स्वाद के कारण शराब नहीं पीते। साल 2006 में साउथ अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में टेस्ट मैच जीतने के बाद टीम इंडिया जश्न में डूब गई थी। प्रोटियाज सरजमीं पर पहली टेस्ट जीत का जश्न शैपेंन से मनाया जा रहा था।

धोनी अपने युवा दिनों में अपनी उपलब्धियों का जश्न ऐसे मनाते थे

धोनी तब काफी युवा थे। यह उनका केवल 14वां टेस्ट था। वह ड्रेसिंग रूम के बाहर ही खड़े रहे। कुछ साथी खिलाड़ी एक दूसरे पर बीयर और ऑरेंज जूस डाल रहे थे और इधर-उधर भाग रहे थे। धोनी को भले ही शराब पसंद न हो, लेकिन कोई और पी रहा हो तो वह आपत्ति नहीं जताते। रांची के लोग बताते है कि धोनी अपने युवा दिनों में अपनी उपलब्धियों का जश्न दोस्तों के साथ मनाते थे। इस दौरान वह यह सुनिश्चित करते थे कि जश्न का भरपूर आनंद लिया जाए। वह अपने दोस्तों के साथ ग्लास लेकर बैठ थे, लेकिन मुंह एक घूंट नहीं लगाते थे।

केवल फौजी दोस्तों के साथ शराब पीते हैं धोनी

धोनी अपने मेहमानों की खातिरदारी में कोई कसर नहीं छोड़ते। यही कारण है कि जब उनके फौजी दोस्त उनसे मिलने आते हैं तो वह शराब भी पीते हैं। वह ऐसे इसलिए करते हैं ताकि मेहमान सहज महसूस करें और पूरी मस्ती के साथ समय बिता सकें। धोनी को शराब की तरह सिगरेट भी पसंद नहीं, लेकिन जब वह युवा थे तो विदेश से दोस्तों के लिए सिगरेट लेकर आते थे। इसके लिए वह अपने दोस्तों को ताना भी मारा करते थे। कहते थे, “मेरे पैसे से तु खुद की जिंदगी जला रहा है।”

धोनी टिकट की व्यवस्था नहीं कराते

क्रिकेटर्स और खेल पत्रकारों के लिए एक समस्या काफी समान। वह है टिकट की व्यवस्था करना। दोनों को मैच का फ्री पास मांगकर परेशान कर दिया जाता है। न दिलाने पर ताने भी सुनने पड़ते हैं। धोनी से भी टिकट दिलाने की मांग होती रहती है। खिलाड़ियों को आमतौर पर 4 टिकट मिलते हैं। कप्तान होने पर एक-दो टिकट फालतू मिल जाते हैं। धोनी को टिकट के लिए सीधे संपर्क किया जाए तो वह टिकट की व्यवस्था नहीं कराते।

धोनी क्यों नहीं दिलाते टिकट

इसके पीछे काफी दिलचस्प तर्क है। धोनी मानते हैं कि अगर कोई इंसान उन तक पहुंच सकता है तो वह कोई आम इंसान नहीं होगा। उसकी किसी नेता या बड़े सरकारी अधिकारी से पहचान जरूर होगी। व्यक्ति न पहले ही जुगाड़ कर लिया होगा। वह उन्हें बैकअप की तरह देख रहा है। वह शान भी मार सकता है कि धोनी ने उन्हें टिकट दिलाया है।

फौजी दोस्तों के लिए 12-15 टिकटों की व्यवस्था करता हैं धोनी

धोनी के सैन्य सहयोगी और प्रिय मित्र कर्नल वेम्बु शंकर के अनुसार धोनी अपने फौजी मित्रों के लिए 12-15 टिकट की व्यवस्था करा देते हैं। फौजी दोस्त को इस बात से झटका लगा था कि धोनी टिकट दिलाने के लिए किस हद तक जा सकते हैं। कर्नल शंकर के एक मित्र ने उन्हें मैसेज किया कि उन्हें 7 टिकट चाहिए। धोनी ने टिकट की व्यवस्था कर दी, लेकिन वह लेने नहीं आए। कर्नल शंकर से उन्होंने इसके बारे में पूछा। जब फौजी को यह पता चला तो वह यह विश्वास नहीं कर पाया कि धोनी ने टिकट के लिए इतनी मेहनत की थी।