महेंद्र सिंह धोनी स्तब्ध थे। रविंद्र जडेजा ने जब फाइनल में टीम को जीत दिलाकर डगआउट की ओर दौड़ना शुरू किया और टीम के अन्य साथी भी उनकी ओर दौड़े तब भी धोनी ने अपना सिर नहीं उठाया। हो सकता है कि धोनी दो महीने की कड़ी मेहनत के बाद पूरी प्रक्रिया के बारे में सोचने की कोशिश कर रहे हों। मोईन अली ने उन्हें गले से लगाया। इस दौरान उनके चेहरे पर कोई हावभाव नहीं थे।
हो सकता है कि आखिरी 6 गेंद के दौरान उनके दिमाग में कोई तूफान चल रहा हो और यह उसके बाद की शांति थी। धोनी की अगुआई में टीम ने 11वें फाइनल में खेलते हुए पांचवीं बार आईपीएल खिताब जीता। टीम ने अपना काम कर दिया था। धोनी इसके बाद अपनी मुस्कुराहट रोक नहीं पाए और उत्साहित जडेजा कूदकर उनके गले लग गए।
अंत भला तो सब भला
पिछले सत्र के बीच में जडेजा के कप्तानी छोड़ने के बाद इस तरह की अटकलें थी कि उनके और धोनी के रिश्ते बिगड़ रहे हैं, लेकिन जैसा कि कहावत है ‘अंत भला तो सब भला।’ धोनी के मन में क्या चल रहा होता है यह किसी को पता नहीं होता। क्या दुनिया ने नम आंखें देखीं? शायद हां। लेकिन भावनाओं का खुलकर प्रदर्शन नहीं होगा।
इसी कारण धोनी स्पेशल
यही कारण है कि धोनी विशेष हैं। उन्हें असफलताओं के साथ उतना ही जोड़ा जा सकता है, जितना सफलताओं के साथ। इस बीच, रविंद्र जडेजा टीवी साक्षात्कार में अपने प्रदर्शन और जीत को ‘महेंद्र सिंह धोनी’ को समर्पित करते हैं। मोटेरा का स्टेडियम जश्न में गूंज उठाता है लेकिन क्या यह संकेत है कि अंत निकट है। यह सवाल धोनी के पीछे हर शहर में गया है और अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग तरीके से उनसे पूछा।
एमएस धोनी ने हालांकि, हमेशा समझदारी दिखाते हुए डैनी मॉरिसन को दिए चुटीले जवाब की तरह ही प्रतिक्रिया दी। धोनी ने मॉरिसन को मजाक में कहा कि वह उन्हें संन्यास लेने के लिए मजबूर कर रहे हैं। क्या हमने धोनी को अंतिम बार मैदान पर देख लिया है। इस पर धोनी ने मुस्कुराते हुए कहा था, शायद हां या शायद नहीं।
समय देगा धोनी के संन्यास पर जवाब
केवल समय ही बताएगा कि 43 साल की उम्र की ओर बढ़ते हुए वह क्षतिग्रस्त घुटने से कैसे निपटते हैं। धोनी ने पांचवीं ट्रॉफी उठाने से पहले कहा, ‘अगर परिस्थितियों को देखें तो मेरे लिए संन्यास लेने का यह सर्वश्रेष्ठ समय है। मेरे लिए यह कहना बहुत आसान है कि अब मैं विदा ले रहा हूं, लेकिन अगले नौ महीने तक कड़ी मेहनत करके लौटना और एक सत्र और खेलना कठिन है।’
एमएस धोनी ने कहा, ‘शरीर को साथ देना होगा। चेन्नई के प्रशंसकों ने जिस तरह से मुझे प्यार दिया, यह उनके लिए मेरा तोहफा होगा कि मैं एक सत्र और खेलूं। उन्होंने जो प्यार और जज्बात दिखाए हैं, मुझे भी उनके लिए कुछ करना चाहिए।’
अगर धोनी 43 साल की उम्र में अगले वर्ष दो महीने के एक और कड़े सत्र में खेलने का फैसला करते हैं तो यह एक व्यावहारिक निर्णय होगा या भावनात्मक होगा? पेशवर खेल में हालांकि ऐसा करना आसान नहीं होगा और धोनी समय लेना चाहते हैं।
भावनात्मक निवेश है धोनी और CSK का साथ
देखने में यह भावनात्मक लग सकता है क्योंकि सीएसके धोनी के लिए एक टीम नहीं है जो उन्हें मोटी तनख्वाह देती है। यह एक भावनात्मक निवेश है। अगल आईपीएल 10 महीने दूर है। अगर धोनी उसमें खेलना चाहते हैं तो उन्हें सत्र से कम से कम तीन महीने पहले से खुद को क्रिकेट खेलने के लिए फिट रखना होगा। क्या वह ऐसा करने का प्रयास करेंगे?
जैसा कि मुख्य कोच स्टीफन फ्लेमिंग ने मैच के बाद बताया। एमएस धोनी के प्रशिक्षण सत्र जरूरत के अनुसार होते हैं। स्टीफेन फ्लेमिंग ने कहा, ‘मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि उन्होंने IPL के दौरान विकेटकीपिंग का अभ्यास नहीं किया। यह सब स्वाभाविक है। उन्होंने टेनिस गेंद के क्रिकेट से सीखा है और यह सिर्फ कौशल है।’
फ्लेमिंग ने कहा, ‘एमएस धोनी ने डेवोन कॉनवे के साथ विकेटकीपिंग सत्र करने की कोशिश की, जो अंतरराष्ट्रीय विकेटकीपर हैं। यह लगभग हास्यप्रद था।’ उन्होंने कहा, ‘आज वह शानदार था। उसने बेहतरीन स्टंपिंग की जो दिखाता है धोनी अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर हैं। यह उसका स्वभाव है।’