आईपीएल टीम किंग्स इलेवन पंजाब की को-ओनर प्रिटी जिंटा को शक है कि उनके कुछ खिलाड़ी मैच हारने से जुड़ी संदिग्ध गतिविधियों में शामिल थे। ये बातें अभिनेत्री जिंटा ने इस महीने हुई बीसीसीआई अफसरों के साथ हुई मीटिंग में कूबल की थी। एक इंग्लिश न्यूजपेपर की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रिटी जिंटा और आईपीएल वर्किंग ग्रुप की मीटिंग 8 अगस्त को हुई थी।

इसमें जिंटा ने अधिकारियों के साथ मैच फिक्सिंग के बारे में कई अहम खुलासे किए हैं। बौकल प्रीति उन्होंने इस तरह की संदिग्ध गतिविधियों को बेहद करीब से महसूस किया था और वह इसके खिलाफ बोलना भी चाहती थीं, लेकिन उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं था। जिंटा के मुताबिक, उन्हें कुछ मौकों पर ऐसा महसूस हुआ कि उनकी टीम से जुड़े कुछ मैचों के नतीजे पहले से ही तय थे।

प्रिटी जिंटा ने अधिकारियों से बताया कि उन्हें इन संदिग्ध गतिविधियों का पता उस वक्त चला जब लोग किसी मैच के नतीजे के बारे में काफी पहले ही सही-सही अंदाजा लगाने लगे। जिंटा ने कहा कि वह मनोविज्ञान की स्टूडेंट रही हैं और वह खिलाड़ियों की बॉडी लैंग्वेज और दिमाग को पढ़ सकती हैं। जिंटा के मुताबिक, उन्होंने उन खिलाड़ियों की खिंचाई की, जो उनके मुताबिक ईमानदारी से नहीं खेल रहे थे। उन्हें ड्रॉप किया गया और वापस से नीलामी के लिए उनके नाम तक भेजे गए। सूत्रों के मुताबिक, प्रिटी जिंटा की एक खिलाड़ी से इस मामले पर गर्मागर्म बहस भी हुई। बाद में उन्होंने दूसरी फ्रेंचाइजियों को उन प्लेयर्स का नाम बताया, जिन पर उन्हें शक था।

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बता दें कि इस बैठक में आईपीएल विर्किंग ग्रुप के सभी चारों सदस्य आईपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला, बीसीसीआई सचिव अनुराग ठाकुर, बीसीसीआई कोषाध्यक्ष अनिरूद्ध चौधरी और पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली थे। हालाकि राजीव शुक्ला और अनुराग ठाकुर ने प्रीति जिंटा के दावों पर कोई टिप्पणी नहीं की। प्रीति ने बोर्ड के अधिकारियों से कहा कि वह मनोविज्ञान की स्टूडेंट रहीं हैं और वह प्लेयर्स की बॉडी लैंग्वेज के साथ उनके माइंड को आसानी से पढ़ सकती हैं। प्रीति ने दावा किया कि उन्होंने उन खिलाड़ियों को मौका नहीं दिया जो ईमानदारी से नहीं खेल रहे थे। प्रीति ने कहा कि जिन्हें नीलामी के जरिए टीम में लिया था, उन्हें भी बैठाना पड़ा।

अखबार के सूत्रों के मुताबिक प्रीति ने कहा कि इस मसले पर उन्हें एक खिलाड़ी के गुस्से का भी सामना करना पड़ा। उसने संदिग्ध खिलाड़ियों के बारे में अन्य फ्रेंचाइजी को सूचना दे दी। वहीं बीसीसीआई के अधिकारियों ने प्रीति से पूछा कि इतना सब कुछ होने के बावजूद वह भ्रष्टाचार निरोधक समिति को रिपोर्ट करने में नाकाम क्यों रहीं, तो उन्होंने बताया कि यूनिट केवल प्लेयर्स को एक दूसरे से बात करना बंद करवा सकता था। आईपीएल वर्किंग ग्रुप को बीसीसीआई के कानूनी सलाहकार यूएन बनर्जी इन मामलों में मदद कर रहे हैं। उम्मीद है कि इस मामले में 28 अगस्त को कोलकाता में बोर्ड की वर्किंग कमिटी की तय मीटिंग में फाइनल रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।

आपको बता दें कि इस मीटिंग में आईपीएल से जुड़े विभिन्न लोगों के अलावा आईपीएल वर्किंग ग्रुप के मेंबर और चेयरमैन राजीव शुक्ला, बीसीसीआई सेक्रेटरी अनुराग ठाकुर, बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी और टीम इंडिया के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली भी मौजूद थे। बीसीसीआई ने 21 जुलाई को यह ग्रुप बनाया था। इसका मकसद आईपीएल में भ्रष्टाचार को लेकर जस्टिस लोढ़ा के फैसले के मुताबिक आईपीएल 9 का रोडमैप तैयार करना था। बता दें कि जस्टिस लोढ़ा की कमेटी की रिपोर्ट में चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स पर दो साल का बैन लगाने का आदेश दिया गया था।

उन्होंने यह भी कहा कि बीसीसीआई की भ्रष्टाचार निरोध समिति इन आशंकाओं को प्रभावी रूप से काबू करने में नाकाम रही है। अखबार की सूत्रों की माने तो बैठक में किंग्स इलेवन पंजाब की को-ऑनर ने कहा कि मैंने इस तरह की संदिग्ध गतिविधियों को करीब से देखा है। इन्हें लेकर मैं पहले ही बोलना चाहती थी, लेकिन मेरे पास कोई ठोस सबूत नहीं थे। उन्होंने कहा कि मैंने महसूस किया की कुछ आईपीएल मैच जो कि मेरे टीम के साथ हुए वे पूर्व निर्धारित पैटर्न को फॉलो कर रहे थे।