IPL 2025 के 22वें मुकाबले में पंजाब किंग्स के युवा बल्लेबाज प्रियांश आर्या ने जो पारी खेली वो आईपीएल क्रिकेट इतिहास के कुछ शानदार पारियों में दर्ज हो गई। प्रियांश आर्या ने बतौर अनकैप्ड प्लेयर इस लीग में सबसे तेज शतक लगाने का कमाल किया साथ ही इस टूर्नामेंट के इतिहास का चौथा सबसे तेज शतक लगाने की भी उपलब्धि अपने नाम कर ली। वो प्रियांश ही थी जिन्होंने पंजाब को पूरी तरह से संभाला और इसके दम पर ही पंजाब को सीएसके पर जीत मिली।

सीएसके के खिलाफ पंजाब के टॉप 6 में से जहां 5 बल्लेबाज 10 का आंकड़ा भी नहीं छू पाए उस स्थिति में प्रियांश ने नूर अहमद, आर अश्विन जैसे गेंदबाजों का डटकर सामना किया और 42 गेंदों पर 9 छक्के और 7 चौकों की मदद से 103 रन की यादगार पारी खेली। प्रियांश का ये आईपीएल करियर का पहला शतक भी रहा। प्रियांश ने अपनी पारी के दौरान सीएसके के सबसे घातक गेंदबाज मथिशा पथिराना को भी नहीं छोड़ा और उनकी गेंद पर हैट्रिक छक्का लगाया साथ ही उनकी ही गेंद पर चौके के साथ अपना शतक पूरा किया।

प्रतिदिन 12 घंटे तक अभ्यास करते थे प्रियांश

प्रियांश आर्या की इस पारी के बाद उनके कोच संजय भारद्वाज ने इंडिया टूडे से बात करते हुए कहा कि वो भोपाल के बाहर अपने घर से गुरुकुल टाइप का ट्रेनिंग कैंप चलाते हैं जहां नितीश राणा, उन्मुक्त चंद, कुलवंद खजरोलिया और अब प्रियांश आर्या जैसे खिलाड़ी को उनकी कोचिंग का लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि प्रियांश ने दिल्ली प्रीमियर लीग और आईपीएल से पहले भोपाल में ट्रेनिंग ली थी। मैं एक आवासीय अकादमी चलाता हूं जो शतक से 10 किलोमीटर दूर रातापानी जंगल में स्थित है। नितीश, उन्मुक्त और प्रियांश ने यहां ट्रेनिंग ली है और इसे गुरुकुल की तरह समझें।

संजय भारद्वाज ने कहा कि इस ट्रेनिंग सेंटर तक पहुंचना मुश्किल है क्योंकि वहां का रास्ता बताने के लिए कोई होता नहीं है। प्रियांश ने प्रदूषण और दिल्ली की गर्मी से दूर रहकर ट्रेनिंग ली। प्रियांश के दिनचर्या के बारे में बात करते हुए गौतम गंभीर के पूर्व कोच ने बताया कि वो प्रतिदिन 12 घंटे अभ्यास करते थे और उन्हें पूरे दिन फोन का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी, वो सिर्फ एक घंटे ही फोन का यूज कर सकते थे। उन्होंने आगे बताया कि वहां सादा खान दिया जाता है जिसे ईंच के चूल्हे पर पकाया जाता है।

फोन का इस्तेमाल पर पाबंदी, मिलता था चूल्हे पर बना खाना

संजय ने आगे कहा कि प्रियांश की ट्रेनिंग सुबह 6.30 बजे शुरू होती थी जो शाम 6 बजे तक चलती थी और बीच कें कोई आराम नहीं दिया जाता था। उन्हें दिन में एक घंटे से ज्यादा अपने फोन का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी और खाना चूल्हे पर पकाया जाता था और यही उनका हर दिन का रूटिन होता था। भारद्वाज ने ये भी बताया कि शतक बनाने के बाद प्रियांश ने उन्हें सुबह फोन किया और पूछा कि क्या उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है। मैंने उनसे कहा कि सब कुछ भगवान पर छोड़ दो। अगर उनकी कृपा रही तो तुम जीवन में अच्छा करोगे।