इंटरनेशनल क्रिकेट के पहले न्यूट्रल अंपायर्स में से एक पीलू रिपोर्टर का रविवार, 3 सितंबर 2023 को मुंबई में निधन हो गया। वह 84 साल के थे और लंबे समय से बिस्तर पर थे। उनके परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं। कुल मिलाकर रिपोर्टर ने 14 टेस्ट और 22 एकदिवसीय मैचों में अंपायरिंग की, जिसमें 1992 में विश्व कप भी शामिल था, जो ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में हुआ था। पीलू रिपोर्टर उन अंपयार्स में से हैं, जो विवयन रिचर्ड्स और इमरान खान जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के भी दबाव में नहीं आते थे।
पीलू रिपोर्टर 1992 वर्ल्ड कप में एकमात्र भारतीय अंपायर थे। रिपोर्टर के करियर में सबसे बड़ा क्षण नवंबर 1986 में आया था जब वह अपने भारतीय साथी वीके रामास्वामी के साथ पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के बीच लाहौर टेस्ट में उतरे। पहली बार हुआ था कि इंटरनेशनल क्रिकेट में न्यूट्रल अंपायर्स थे। घरेलू अंपयार्स पर पक्षपात का आरोप लगता था ऐसे में पाकिस्तान के कप्तान इमरान खान ने यह कदम उठाया था।
पीलू रिपोर्टर ने पहली 1984 में की थी पहली बार अंपायरिंग
इसके बाद इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) ने 1992 में टेस्ट क्रिकेट में एक न्यूट्रल अंपायर के इस्तेमाल का फैसला किया था। दो साल बाद इसे पूरी तरह से लागू कर दिया गया था। पीलू रिपोर्टर ने पहली टेस्ट क्रिकेट में 1984 में इंग्लैंड के भारत दौरे के दौरान दिल्ली में अंपायरिंग की था। उस टेस्ट में रिपोर्टर के पार्टनर दारा डोटीवाला थे।
पीलू रिपोर्टर पर बड़े खिलाड़ी भी नहीं डाल पाते थे दबाव
पीलू रिपोर्टर पर मैल्कम मार्शल, विवयन रिचर्ड्स और इमरान खान जैसे खिलाड़ी भी दबाव नहीं डाल पाते थे। उन्होंने मिड डे से बातचीत में 1997 में कहा था, “अंपायरिंग, पुलिस ट्रैफिकिंग जैसा ही काम है। जिस तरह से ट्रैफिक का चलते रहना जरूरी है, उसी तरह खेल भी चलता रहना जरूरी है।”