भारत ने साउथ अफ्रीका को हराकर रविवार (2 नवंबर) को महिला वर्ल्ड कप जीता तो उसकी तुलना 1983 की पुरुष वर्ल्ड कप जीत से की जाने लगी। हालांकि, लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर का मानना है कि भारत की महिला वर्ल्ड कप जीत 1983 जैसी नहीं है। उनका कहना है कि हरमनप्रीत कौर की अगुआई वाली टीम के पास काफी अनुभव था। कपिल देव की अगुआई वाली टीम के लिए सबकुछ अलग था।
स्पोर्ट्स्टार के अनुसार गावस्कर ने अपने कॉलम में यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों से मिले आकर्षक डिग्रियों से नहीं खेल की समझ से ट्रॉफियां जीती जाती हैं। हरमनप्रीत कौर की टीम के विश्व विजेता बनने से साबित हुआ कि भारतीय कोच के होने से अच्छे नतीजे आएंगे क्योंकि वे खिलाड़ियों को अच्छी तरह जानते हैं। वे भारतीय क्रिकेट को बेहतर समझते हैं। उन्होंने 2017 वर्ल्ड कप में इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल में मिली हार को भी याद किया।
नौ रनों से मिली हार को स्वीकारना मुश्किल था
सुनील गावस्कर ने कहा, “भारतीय महिलाओं के तीसरा मौका भाग्यशाली रहा। उन्होंने अपना धैर्य दिखाते हुए प्रतिष्ठित आईसीसी वनडे विश्व कप जीत लिया। वे इससे पहले दो बार फाइनल में पहुंच चुकी थीं और पिछली बार लॉर्ड्स में इंग्लैंड से मामूली अंतर से हार गई थीं, जहां दशकों में पहली बार मैदान पर अंग्रेज प्रशंसकों की संख्या भारतीय प्रशंसकों से ज्यादा थी। नौ रनों से मिली हार को स्वीकार करना मुश्किल था, क्योंकि भारतीय टीम जीत की ओर बढ़ रही थी, लेकिन तभी शानदार बल्लेबाजी कर रहीं हरमनप्रीत कौर डीप स्क्वायर लेग पर कैच आउट हो गईं। इसके बाद घबराहट और अक्षमता की स्थिति पैदा हो गई। इसके परिणामस्वरूप कुछ रन-आउट और खराब शॉट चयन हुए, जो अंततः हार का कारण बना।”
भारतीय क्रिकेट के इतिहास की सर्वश्रेष्ठ जीतों में से एक
गावस्कर ने कहा, “इस बार कप्तान हरमनप्रीत थीं और उन्होंने एक शानदार कैच लपककर जीत पक्की कर दी। इसे भारतीय पुरुष और महिला क्रिकेट के इतिहास की सर्वश्रेष्ठ जीतों में से एक माना जाना चाहिए। महिलाओं ने जो दृढ़ संकल्प दिखाया, वह अविश्वसनीय था। देखा जाए तो मुंबई क्रिकेट अपने ‘खड़ूस रवैये’ के लिए मशहूर है। मुंबई से ही कोच अमोल मजूमदार का इस पर गहरा प्रभाव रहा होगा, क्योंकि तीन करीबी मैच हारने के बाद वापसी वाकई काबिले तारीफ है।
खेलों की समझ से ट्रॉफियां जीती जाती हैं
गावस्कर ने कहा, “इस जीत ने एक बार फिर बता दिया कि खेलों की समझ से ट्रॉफियां जीती जाती हैं, न कि विश्वविद्यालयों की आकर्षक डिग्रियों से। यह भी साबित करता है कि भारतीय कोच ही सबसे अच्छे नतीजे हासिल करेंगे क्योंकि वे खिलाड़ियों को अच्छी तरह जानते हैं। उनकी ताकत, कमजोरी, स्वभाव और भारतीय क्रिकेट की बारीकियों को किसी भी विदेशी खिलाड़ी से बेहतर समझते हैं, चाहे वह कितना भी अनुभवी क्यों न हो।”
1983 जैसी नहीं है यह जीत
गावस्कर ने कहा, “कुछ लोग इस जीत की तुलना 1983 में पुरुष टीम द्वारा विश्व कप जीतने से कर रहे थे। पुरुष टीम पहले के टूर्नामेंट में कभी भी ग्रुप चरण से आगे नहीं बढ़ पाई थी। इसलिए नॉकआउट चरण से आगे सब कुछ उनके लिए नया था, जबकि महिलाओं का रिकॉर्ड पहले से ही बेहतर था। इस शानदार जीत से पहले वे दो बार फाइनल में पहुंच चुकी थीं।”
वर्चस्व का दौर अब बीत चुका है
गावस्कर ने कहा, “जिस तरह 1983 की जीत ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊर्जा दी। उसे दुनिया भर में एक आवाज दी। यह जीत भारत से बहुत पहले महिला क्रिकेट खेल रहे देशों को एहसास दिलाएगी उनके वर्चस्व का दौर अब बीत चुका है। 1983 की जीत ने महत्वाकांक्षी क्रिकेटरों के माता-पिता को भी अपने बच्चों को इस खेल में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। आईपीएल ने इसे और भी ऊंचाइयों पर पहुंचाया। इसीलिए आज की भारतीय पुरुष टीम में न केवल महानगरों से, बल्कि पूरे देश से खिलाड़ी शामिल हैं।
जीत महिला क्रिकेट को नए आयाम देगी
गावस्कर ने कहा, “इसी तरह, यह जीत महिला क्रिकेट को नए आयाम देगी और भारत के दूर-दराज के इलाकों से और भी लड़कियों को इस खेल में आएंगी। डब्ल्यूपीएल ने यह प्रक्रिया शुरू कर दी है, क्योंकि अब माता-पिता इस खेल को अपनी बेटियों के लिए एक करियर विकल्प के रूप में देखते हैं और उनका समर्थन करने के लिए अधिक इच्छुक हैं।
शाबाश, हरमनप्रीत कौर और लड़कियों
गावस्कर ने कहा, “यह एक ऐसी जीत है जिसका आनंद लिया जा सकता है, एक ऐसी जीत जिसे संजोया जा सकता है, एक ऐसी जीत जो हमेशा याद रहेगी। शाबाश, हरमनप्रीत कौर और लड़कियों। आपने देश को गौरवान्वित किया है। ईश्वर करें यह भारत आने वाली कई ट्रॉफियों में से पहली हो।
